उत्तराखंड

शिक्षक संघ का प्रधानाचार्य पद पर सीधी भर्ती का विरोध

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नई टिहरी। राजकीय शिक्षक संघ टिहरी गढ़वाल ने सरकार की प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती कराने की मंशा का पुरजोर विरोध शुरू किया है। राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष श्याम सिंह सरियाल और जिला प्रवक्ता कमलनयन रतूड़ी ने कहा की अन्य विभागों की तरह यदि शिक्षा विभाग में भी नियमित रूप से न्यूनतम तीन पदोन्नति होती रहती तो इतने पद कभी खाली नहीं रहते। सीधी भर्ती के विरोध समय आने पर आंदोलन भी किया जायेगा। शिक्षक संघ ने सीधी भर्ती का विरोध करते हुये कहा कि ये दुर्भाग्य है कि पद रिक्त होने के बाबजूद शिक्षकों को उनकी पदोन्नति से जानबूझकर वंचित किया जाता रहा है। किसी भी विभाग में ऐसा नहीं है। अन्य विभागों में यदि चार पद भी रिक्त होंगे, तो उन्हीं में पदोन्नति हो जाती है। लेकिन शिक्षा विभाग में जब तक हजार पद रिक्त नहीं हो जाते तक तक अधिकारियों की आंख नहीं खुलती। पूर्व में भी प्रधानाचार्य के पदों पर लिखित परीक्षा के आधार पर नियुक्तियां हुई, लेकिन मिलीभगत से इन पदों को उप शिक्षा अधिकारी पदों पर आसीन करवा दिया। प्रधानाचार्य का विशुद्घ पदोन्नति का पद है। स्नातक वेतन क्रम और प्रवक्ता वेतन क्रम के शिक्षकों को यह सरकार इस तरह के तुगलकी फैसलों से उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती। आखिर क्या कारण है कि एलटी से प्रवक्ता पद पर रिक्ति के बाबजूद पांच व छरू वर्ष के अन्तराल में पदोन्नति होती है। प्रवक्ता से हैडमास्टर में भी देर से पदोन्नति होती है और वह भी ऊंट के मुह मे जीरे के समान ही है। वही हाल हेडमास्टर से प्रधानाचार्य के पदों का है। सेवा काल में पदोन्नति के लिए एक बार टूट का प्रावधान है, लेकिन सरकारें टूट नहीं देती, तो फिर किस शैक्षिक उन्नयन की बात की जाती है। शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियमित पदोन्नति करते तो प्रदेश के बच्चों का भी भला होता। प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती से कोई भला होने वाला नहीं। नियमित रूप से पदोन्नति न होने के पीटे विभागीय अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। सीधी भर्ती शिक्षकों का शोषण है। जिसका शिक्षक संघ पूरी तरह से विरोध करता है। जिसके लिए आंदोलन तक किया जायेगा।

 

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