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कुतुबमीनार परिसर में 1200 साल पुरानी मूर्ति की हुई पहचान, बताई जा रही नरसिंह भगवान और भक्त प्रह्लाद की

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नई दिल्ली, एजेंसी। पिछले तकरीबन 2 महीने से दिल्ली का कुतुब मीनार देशभर में चर्चा में है, क्योंकि यहां पर हिंदू धर्म से संबंधित देवी-देवताओं की मूर्तियों के मिलने की बातें सामने आ रही हैं। अब ताजा जानकारी के मुताबिक, कुतुबमीनार परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के एक खंभे में मूर्ति लगी है। इसे वर्षों से पहचानने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अब पुरातत्वविद धर्मवीर शर्मा ने इस मूर्ति की पहचान नरसिंह भगवान और भक्त प्रह्लाद की मूर्ति के रूप में की है।
धर्मवीर शर्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) में क्षेत्रीय निदेशक रहे हैं, उनका दावा है कि यह मूर्ति आठवीं-नौवीं सदी में प्रतिहार राजाओं के काल की है। इसे वर्षों से पहचानने की कोशिश की जा रही थी, काफी दिनों के प्रयास के बाद अब पुरातत्वविद ने इस मूर्ति की पहचान की है।
दावा किया जा रहा है कि मूर्ति 1200 पुरानी है, यह प्रतिहार राजाओं या राजा अनंगपाल के समय की है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने इसकी पहचान की है। उनका दावा है कि मूर्ति आठवीं या नौवीं शताब्दी की है। उस समय प्रतिहार राजाओं व राजा अनंगपाल प्रथम का समय था।प्रतिहार राजाओं में मिहिर भोज सबसे प्रतापी राजा हुए हैं। इस मूर्ति के चित्र देश के मूर्धन्य पुरातत्वविदों को विशेष अध्ययन के लिए भेजे गए हैं। उनका कहना है कि यह नरसिंह भगवान की दुर्लभतम प्रतिमा है अन्य कहीं इस तरह की मूर्ति नहीं मिलती है।
वहीं, विख्यात पुरातत्वविद शर्मा कहते हैं कि अभी तक हम भगवान नरसिंह की उस मूर्ति को ही देखते आ रहे हैं जिसमें हिरण्यकश्यप को अपने घुटने पर रखकर उसे भगवान नरसिंह द्वारा नाखूनों से चीरते हुए दिखाया गया है, मगर इस मूर्ति में दर्शाया गया है कि जब क्रुद्घ नरसिंह ने हिरण्यकश्यप वध कर दिया तो उनकी क्रोधाग्नि से धरती जलने लगी। देवताओं ने तब भक्त प्रह्लाद से प्रार्थना की क्योंकि वे नरसिंह के प्रिय थे और वही नरसिंह के क्रोध का शांत कर सकते थे, प्रह्लाद तब नरसिंह से प्रार्थना करने लगे तो प्रसन्न होकर नरसिंह ने उनको गोद में बिठाया और शांत हो गए।
बता दें कि धर्मवीर शर्मा दिल्ली में रहे हुए उत्खनन के क्षेत्रीय प्रभारी रहे हैं। इस मूर्ति को लेकर राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय कहते हैं कि कुतुब मीनार में पहचानी गई मूर्ति अद्भुत है। यह प्रतिमा धार्मिक और अनुसंधानकर्ता समुदाय के लिए विशेष आकर्षण का बिंदु है। इस मूर्ति के चित्र देश के मूर्धन्य पुरातत्वविदों को विशेष अध्ययन के लिए भेजे गए हैं।
हिंदू सनातनी समाज कभी हिंसा का समर्थक नहीं रहा। हर देवी देवता ने दुष्ट का संहार किया है और धर्म की पुन: प्रतिष्ठा की है। नरसिंह इसी धर्म स्थापना के देव हैं, विष्णु के अवतार हैं। हम्पी में हिंदू सम्राट ष्णदेव राय ने लक्ष्मी नरसिंह की अति भव्य विराट प्रतिमा युक्त मंदिर बनवाया, कांची में भी नरसिंह मंदिर बहुत लोकप्रिय है।
कुतुबमीनार स्थित इस विवादित ढांचे की बात करें तो इसकी सबसे अलग कहानी है।यहां कुछ भी अनुमानों पर आधारित नहीं है, सब कुछ आंखों के सामने है।जिस विवादित ढांचे को कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का नाम दिया गया है। इसकी दीवारें और स्तंभ चिल्ला चिल्ला इसे बनाने में मंदिरों की निर्माण सामग्री उपयोग किए जाने का प्रमाण देते हैं।इस ढांचे में पीटे की तरफ गणेश जी की दो उल्टी मूर्तियां लगी हैं।
वहीं एक स्थान पर भगवान ष्ण के अवतार का वर्णन मूर्तियों के आधार पर किया गया है। इस ढांचे पर बाकायदा निर्माणकर्ता कुतुबद्दीन ऐबक की ओर से अंकित कराया गया है कि इसे 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़ कर बनाया गया है।
एएसआइ के एक पूर्व अधिकारी कहते हैं कई साल पहले कुतुबमीनार के पास खोदाई में भगवान विष्णु की मूर्ति निकली थी, जिसे राष्ट्रीय संग्रहालय भिजवा दिया गया था।नहालांकि कुतुब परिसर या इसके आसपास धरोहर को हासिल करने के लिए कभी खोदाई नहीं की गई है। पुरातत्वविद डीवी शर्मा कहते हैं कि कुतुब परिसर के आसपास खोदाई कराई जाती है तो निश्चित तौर पर मंदिरों के प्रमाण मिलेंगे।
हिरण्यकश्यप को वरदान था उसे न दिन में न रात में, न भीतर न बाहर, न मनुष्य न पशु मार सकता था। माओ त्से तुंग, स्टालिन पोल पोट और आइसिस की तरह उसका अहंकारी चरम पर था, अन्याय बढ़ रहे थे। तब विष्णु ने देवों की प्रार्थना सुनी और नरसिंह अवतार लिया। हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद जैसे भक्त की रक्षा हेतु नरसिंह ( न मनुष्य न पशु) ने गोधूली के समय( न दिन न रात) देहरी पर ( न भीतर न बाहर) मार डाला।

मुस्लिम पक्ष का दावा: मस्जिद में नहीं मिला कोई शिवलिंग
नई दिल्ली ,एजेंर्सी । उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे आज तीसरे दिन पूरा हो गया। वहीं सर्वे के बाद परिसर से बाहर निकले हिंदू पक्ष के वकील ने बड़ा दावा किया। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि सर्वे के दौरान कुंए के अंदर शिवलिंग मिला है। जिसके बाद अब वह शिवलिंग की प्रोटेक्शन लेने सिविल कोर्ट जा रहे हैं। वहीं ज्ञानवापी मस्जिद मामले में याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने भी बाहर निकलकर कहा कि दावा किया कि कोर्ट कमीशन का सर्वे पूरा हो गया है। हमें निर्णायक सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि अंदर नंदी के पास बाबा मिल गए हैं, जिन खोजा तिन पाइयां, मतलब जिसकी तलाश की जा रही थी, उससे कहीं अधिक मिला है। इतिहासकारों ने जो लिखा था, वह सही था। सोहन लाल आर्य ने बताया कि अब पश्चिमी दीवार के पास जो 15 फीट ऊंचा मलबा है, उसके सर्वे की मांग उठाएंगे।वहीं ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा होने के बाद वाराणसी डीएम कौशलराज शर्मा ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे आज सवा 10 बजे तक पूरा हो गया है। 17 मई को अदालत में जब तक कमीशन की रिपोर्ट पर कोर्ट का जवाब नहीं आ जाता तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी। सभी पक्षकार बड़े संतुष्ट होकर गए हैं।

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