कोटद्वार-पौड़ी

अवैध खनन की भेंट चढ़ा सुखरो नदी पर बना पुल, धंसने लगा पिल्लर

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चैनेलाइजेशन के नाम पर हुए अवैध खनन से पुल के नीचे खोखले हुए पिल्लर
सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन व पुलिस ने पुल पर रूकवाई वाहनों की आवाजाही
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: अखिर वही हुआ जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी। कोटद्वार से भाबर को जोड़ने के लिए सुखरो नदी पर बना पुल खनन की भेंट चढ़ गया है। खननकारियों ने इसकी नींव तक खोद डाली है जिस कारण गुरूवार देर रात पर्वतीय क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के बाद पुल का एक पिलर पूरी तरह से खोखला हो गया है। इससे पुल लगातार नीचे धंस रहा है। सुरक्षा कारणों को देखते हुए प्रशासन ने पुल पर आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है।
बता दें कि कोटद्वार क्षेत्र में पिछली सरकार में राजस्व विभाग की ओर से सुखरो नदी में रीवर ट्रेनिग के पट्टे जारी किए गए थे, वहीं मालन व सुखरो नदियों में वन क्षेत्र के अंतर्गत रीवर चैनेलाइजेशन के नाम पर धड़ल्ले से खनन किया गया। हालांकि रिवर ट्रेनिंग के नाम पर चल रहा खनन बंद हो गया। लेकिन नदियों में अवैध खनन आज भी बंद नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों ने कहा कि सिस्टम की मिलीभगत के कारण पुल टूटने की हालत में पहुंच गया है।सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे लोनिवि के अधिशासी अभियंता डीपी सिंह ने बताया कि जेसीबी से नदी के पानी को डाइवर्ट किया गया है। कहा कि कई बार खनन रोकने को लेकर पत्राचार किया गया है लेकिन कोई नतीजा नहीं मिला। वहीं, एसडीएम प्रमोद कुमार ने कहा कि मामले की जांच कराई जायेगी और जो भी दोषी पाया गया उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।

नदियों में आज भी जारी है अवैध खनन
रिवर ट्रेनिंग के नाम पर चल रहा खनन कार्य तो बंद हो गया। लेकिन, क्षेत्र के नदियों में आज भी बदस्तूर अवैध खनन जारी है। जिस सुखरो नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हुआ है, वहां बीती रात जेसीबी मशीन लगाकर खनन किया जा रहा था।

पुल की बुनियाद तक खोद दी
खनन कार्यों ने प्रशासन की कथित मिलीभगत से जहां पुल की बुनियाद तक खोद दी, वहीं पुल से लगातार ओवर लोडेड खनिज से लदे डंपर गुजरते रहे। लोक निर्माण विभाग की दुगड्डा इकाई ने इस संबंध में कई मर्तबा जिलाधिकारी व आयुक्त को पत्र भेज पुल से ओवरलोडेड डंपरों की आवाजाही रोकने व पुल के आसपास अवैध खनन पर रोक लगाने की भी मांग की। लेकिन, प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रशासन की इस अनदेखी का ही परिणाम रहा कि 2010 में जिस पुल का लोकार्पण किया गया था, वह क्षतिग्रस्त हो गया है।

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