कोटद्वार-पौड़ी

हल्की बारिश में ही बढ़ा मालन पुल के पानी का वेग, चुनौती बना वैकल्पिक मार्ग

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मालन पर बना पुल धराशायी होने के बाद नदी पर बनाया गया है वैकल्पिक मार्ग
लोगों की शिकायत के बाद भी सरकारी सिस्टम पुल मरम्मत को नहीं दिखा रहा गंभीरता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : लगता है सरकारी सिस्टम में जनता के हितों से कोई मतलब नहीं रह गया है। तभी तो छ: माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अब तक धराशायी मालन पुल के मरम्मत का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। नतीजा सोमवार को पहाड़ में हुई बारिश से अचानक मालन नदी के पानी का वेग बढ़ गया। ऐसे में नदी के बीच वैकल्पिक मार्ग से आवाजाही करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोगों की लाख शिकायत के बाद भी जिम्मेदार विभाग लापरवाह बना हुआ है।
मालूम हो कि जुलाई माह में अतिवृष्टि से कोटद्वार-भाबर को जोड़ने वाला मालन पुल धराशायी हो गया था। वर्षा काल में आवागमन प्रभावित न हो इसके लिए कण्वाश्रम-ध्रुवपुर मार्ग को खोला गया। कई सप्ताह तक कोटद्वार व भाबर के वाशिंदे इसी मार्ग से आवाजाही कर रहे थे। बरसात थमने के बाद लोक निर्माण विभाग ने मालन नदी पर ही वैकल्पिक मार्ग तैयार किया। अब तक वाहन चालक व पैदल चलने वाले जन इसी वैकल्पिक मार्ग का प्रयोग कर रहे हैं। लापरवाही यह है कि अब तक पुल मरम्मत के कार्य की सुध तक नहीं ली गई है। नतीजा बरसात से पहले ही पहाड़ों में हो रही बारिश से वैकल्पिक मार्ग आवागमन के लिए चुनौती बन रहा है। सोमवार सुबह अचानक नदी में पानी का वेग बढ़ गया था। चार पहिया वाहनों को भी वैकल्पिक मार्ग से आवागमन करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। दोपहिया वाहन चालक घंटो नदी के किनारे खड़े रहकर पानी का वेग कम होने का इंतजार करते रहे।

कई बार कर चुके हैं आंदोलन
एक दिन पूर्व ही पूर्व सैनिकों व स्थानीय लोगों ने मालन नदी पर बने पुल की मरम्मत के लिए शहर में आक्रोश रैली निकाली थी। वहीं, इससे पूर्व भी कई सामाजिक संगठन पुल निर्माण के लिए आंदोलन कर चुके हैं। बावजूद इसके सरकारी सिस्टम पुल मरम्मत कार्य को लेकर लापरवाह बना हुआ है। ऐसे सरकारी सिस्टम की यह लापरवाही कभी भी आवागमन करने वालों के जीवन पर भारी पड़ सकती है।

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