मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वीं बैठक, तीन रोपवे परियोजनाओं को हरी झंडी
देहरादून । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वीं बैठक में केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और चंडीदेवी रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई। अब इनके प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे जाएंगे। मंगलवार को सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में 27 प्रस्तावों पर चर्चा की गई।
बैठक में तीन अहम रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी के साथ नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजने का अनुमोदन किया गया। इसमें सोनप्रयाग से केदारनाथ 13 किमी रोपवे परियोजना के तहत 26़43 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित की जानी है। जबकि गोविंदघाट से हेमकुंड तक करीब 12़5 किमी रोपवे परियोजना के लिए 27़4782 हेक्टेयर वन भूमि और हरिद्वार में हरकी पैड़ी से चंडीदेवी तक रोपवे परियोजना के लिए 0़29 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित की जानी है।
बैठक में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी पैदल मार्ग के किमी 6 से किमी 12 तक खच्चरों के चलने के लिए एक अलग पथ बनाने के लिए 0़983 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण को भी मंजूरी दी गई। उत्तरकाशी जिले में संरक्षित वन क्षेत्र में पड़ने वाले रकी नव से मुलिग्ला तक अपरेशनल ट्रैक निर्माण और सुगमा वाई जंक्शन से थांगला-दो तक अपरेशनल ट्रैक निर्माण के लिए भी क्रमशरू 7़20 हेक्टेयर और 3़4214 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण को मंजूरी दी गई।
बैठक में अल्मोड़ा जिले के तहत बनने वाले चार मोटर मार्गों के लिए भी भूमि हस्तांरण का अनुमोदन किया गया। हरिद्वार में बनने वाली रिंग रोड के लिए 48़895 हेक्टेयर और जमरानी बांध बहुद्देशीय परियोजना के लिए 400़89 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव भी अनुमोदन के बाद नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जाएगा। वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना, विद्युत, हाइड्रो, उपखनिज चुगान, औद्योगिक विकास के प्रस्तावों पर चर्चा के बाद अनुमोदन किया गया।
बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव ड़ एसएस संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव दिलीप जावलकर, वन प्रमुख पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ड़ पराग मधुकर धकाते सहित उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे।
बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य स्तर पर अनुमोदन के बाद जो भी प्रस्ताव केंद्र स्तर पर जाते हैं, उनका लगातार फलोअप सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए जरूरत होने पर अधिकारी विशेष को नियुक्त किया जा सकता है। कहा कि वन, वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। इसलिए हमें इकोलजी और इकोनमी में समन्वय बनाकर आगे बढ़ना होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वीं बैठक में कई मुद्दों पर बात हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना होगा। खासतौर पर खेती को बंदरों से बचाने के लिए कोई स्थायी समाधान खोजा जाए। हरेला पर्व पर अधिक से अधिक फलदार प्रजाति के पौधे रोपे जाएं। हरेला पर्व केवल वन विभाग तक सीमित न रहे, इसे जन-जन का उत्सव बनाया जाए।