कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान संवादहीनता को लेकर निशाने पर रहे वेणुगोपाल, कुछ सदस्य बोले- पार्टी के लिए नहीं है उपयोगी
नई दिल्ली,एजेंसी। कांग्रेस की लगातार चुनावी हार की समीक्षा के लिए रविवार को हुई पार्टी कार्यसमिति की बैठक के दौरान संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की संवादहीनता और प्रभावहीनता को लेकर उन पर जमकर निशाना साधा गया। शीर्ष स्तर पर एआईसीसी की संगठनात्मक खामियों की ओर इशारा करते हुए कार्यसमिति के कुछ सदस्यों ने साफ कहा कि वेणुगोपाल मौजूदा चुनौतियों के दौर में पार्टी के लिए उपयोगी नहीं बल्कि बोझ साबित हो रहे हैं।
वहीं कांग्रेस को मौजूदा संकट से निकालने के बुलाए जाने वाले चिंतन शिविर को चुनावी राज्य में किए जाने के विकल्प पर गौर किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में दिलचस्प यह रहा कि जब एक वरिष्ठ नेता ने वेणुगोपाल की संगठन महासचिव के तौर पर असंतोषजक भूमिका का मुद्दा उठाया तो कम से कम तीन-चार नेताओं ने इसका समर्थन किया।
इन नेताओं का कहना था कि पार्टी के सिकुड़ते आधार को थामने के लिए देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से सीधे जुड़ाव और संवाद बढ़ना जरूरी है और इसमें संगठन महासचिव की भूमिका बेहद अहम है। लेकिन निराशा की बात यह है कि देश के दूर-दराज से एआसीसी आने वाले कार्यकर्ताओं से वेणुगोपाल बहुत कम मिलते हैं।
सूत्रों के अनुसार इस दौरान एक सदस्य ने तो यह भी कहा कि वेणुगोपाल एआसीसी में न मिलते हैं और न ही दिखते हैं। खास बात यह रही कि संगठन की मौजूदा कमजोरियों को लेकर वेणुगोपाल पर जब सियासी तीर चले तो कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इस पर कोई टिप्पणी या बचाव नहीं किया गया। हाईकमान के करीबी वेणुगोपाल की संवाद की कमजोरी को लेकर पहले भी दबी जुबान में कार्यकर्ता शिकायत करते रहे हैं।
भाषायी अड़चन के कारण हिन्दी भाषी राज्यों के कार्यकर्ता संगठन महासचिव से सहज संवाद नहीं हो पाने की बात पहले भी उठाते रहे हैं। वैसे कार्यसमिति की बैठक के दौरान संगठन की खामियों को दुरूस्त करने के लिए वरिष्ठ नेता दिग्जिवय सिंह ने भी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद के तार जोड़ने की सलाह दी और कहा कि उन्हें हफ्ते में एक दिन इसके लिए तय करना चाहिए।
कांग्रेस के भविष्य का रोडमैप तय करने के लिए अप्रैल में प्रस्तावित चिंतन शिविर पर सहमति बनते ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका आयोजन अपने सूबे में कराने की पेशकश कर दी है। पार्टी की सरकारों के चलते राजस्थान और छत्तीसगढ उसके लिए सहज विकल्प हैं मगर पार्टी सूत्रों के अनुसार चिंतन शिविर अगले चुनावी राज्यों में किए जाने को ज्यादा मुफीद माना जा रहा है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में चिंतन शिविर के लिए इन दोनों राज्यों का विकल्प भी खुला है।