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विपक्षी दलों पर योगी आदित्यनाथ का हमला, कहा- किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अराजकता फैलाना चाहता विपक्ष

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लखनऊ , एजेंसी । किसानों के आठ दिसंबर को भारत बंद के समर्थन में अनेक राजनीतिक दलों के साथ ही व्यापारी तथा अन्य संगठन के आने के साथ ही प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी मुस्तैद है। सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी जिला तथा पुलिस प्रशासन को इसको लेकर बेहद मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद को समर्थन कर रहे विपक्षी दलों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सवाल खड़े किए हैं। सोमवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने आजादी के बाद किसानों के हित में सर्वाधिक क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। कृषि सुधार के लाए गए तीन कानून भी उसमें शामिल हैं। उनको लेकर राजनीति दल वातावरण खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। योगी ने कहा कि खास तौर पर एपीएमसी मडल एक्ट ऐसा कानून है, जिसे सबसे पहले यूपीए सरकार ने प्रस्तुत किया। तब एनसीपी, लेफ्ट, सपा, बसपा, डीएमके और टीएमसी जैसे दल सरकार में शामिल थे या समर्थन में थे।
यूपीए सरकार ने 2010-11 के दौरान विभिन्न राज्यों को पत्र भेजे। तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर एपीएमसी मडल एक्ट लाने की बात कही। मंडी प्रथा बंद करने का प्रस्ताव रखा। आज वही दल इस कानून और अपने वक्तव्य से मुकर कैसे रहे हैं। यह इन दलों का दोहरा चरित्र उजागर करता है। योगी ने कहा कि फिर जब मोदी सरकार इस कानून को ला रही थी, तब संसद की स्थायी कृषि संबंधी समिति की बैठक में इस पर चर्चा की। तब भी इन सभी दलों ने समर्थन किया और आज भोले किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अराजकता फैलाने और और अपने स्वार्थ साधने का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि, इस फैसले के समर्थक राहुल गांधी रहे हैं। मुलायम सिंह यादव रहे हैं। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नोटिफिकेशन भी जारी कर चुके हैं तो आज भारत बंद के समर्थन पर आश्चर्य होता है। योगी ने इन दलों को बिन पेंदी के लोटे की भी संज्ञा दी और कहा कि जनता से माफी मांगें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ देश के अन्य दल किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर उनको निशाना बना रहे हैं। सभी दल किसानों को अपना हथियार बना रहे हैं। जब इनके पास सत्ता थी, तब इनको किसानों के बारे में सोचने का मौका नहीं मिला। किसानों के हित के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी ने सिर्फ सोचा ही नहीं, काम को करके दिखाया है। इसी क्रम में कृषि कानून में संशोधन किया जा रहा है। जब विपक्षी दलों के पास सत्ता थी तो दोहरे चरित्र वाले इन दलों ने किसानों के बारे में नहीं सोचा और अब इनके कंधों पर बंदूक रखकर अपना छोटा सा हित साधने के प्रयास में हैं। दोहरे चरित्र वाले जब सत्ता में थे, तो इनकी चाल व चरित्र अलग थे और आज जब यह लोग विपक्ष में हैं, तो कुछ अपने ही कामों का विरोध में लग गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने 2010-11 के सभी राज्य सरकारों को कृषि उपज मंडी समितियां एक्ट में संशोधन के लिए पत्र लिखा था। कांग्रेस और उसे समर्थन करने वाले राजनीतिक दल आज अपने वक्तव्यों से कैसे मुकर सकते हैं। यह किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर के देश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। देश के कुछ राजनीतिक दल वातावरण खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें भी खासतौर पर एपीएमसी एक्ट पर राजनीतिक दलों का वर्तमान रवैया उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है। इससे पहले 2008 में तो दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी षि कानून में सुधार का प्रयास किया था। इनके अंदर इसको क्रियान्वित करने की हिम्मत ही नहीं थी। अब यह लोग देश के भोले भाले किसानों को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं। यह लोग सरकार में रहने के साथ ही संसद में तथा संसद के बाहर भी किसानों की चिंता नहीं कर सके। राजनीति सिर्फ मूल्य तथा आदर्श की होनी चाहिए। किसी को नुकसान पहुंचाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास ठीक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देशभर में न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम उपलब्ध कराने का कार्य हो या फिर पीएम किसान सम्मान निधि हो। आजादी के बाद किसानों के हित में लिए गए यह सभी ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले हैं। देश की मंडियों को ई-नाम से जोड़कर श्वन नेशन, वन मार्केटश् की तर्ज पर मंडियों को और किसान के उत्पाद को देश के अंदर कहीं भी बेचने और किसी भी प्रकार के मंडी शुल्क से मुक्त करने का क्रांतिकारी कदम प्रधानमंत्री ने उठाया है। केंद्र सरकार ने देश के किसानों के हित में पिछले 06 वर्षों में अनेक क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। हम सब जानते हैं कि पीएम फसल बीमा योजना, पीएम षि सिंचाई योजना और खेती को तकनीक के साथ जोड़ने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया है।

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