उत्तराखंड

बर्ड फेस्टिवल के पहले दिन नम भूमि दिवस मनाया

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-मेहमान परिंदों की पहचान और महत्व से रूबरू हुए वनकर्मी
हल्द्वानी। जिम कर्बेट से सटे तराई पश्चिम वन प्रभाग के कर्मियों को विशेषज्ञों ने हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर आने वाले मेहमान परिंदों के महत्व, उनके व्यवहार, उनके संरक्षण और आवास के बारे में जानकारी दी। शुक्रवार को फाटो जोन में मेहमान परिंदों के संरक्षण को लेकर विशेषज्ञ शोध करेंगे। साथ ही स्कूली बच्चों और गांव के लोगों को पक्षियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। गुरुवार को तराई पश्चिम के फाटो जोन में बर्ड फेस्टिवल के पहले दिन वनभूमि के संरक्षण के लिए नम भूमि दिवस मनाया गया। डीएफओ प्रकाश आर्या ने बताया कि नम भूमि दिवस की शुरुआत दो फरवरी 1971 को ईरान के रामसार शहर में आयोजित संधि के उपलक्ष्य में की गयी। बताया कि तुमड़िया डैम में प्रभाग के कर्मचारियों एवं द कर्बेट फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से पक्षियों के पर्यावरण में महत्व, योगदान एवं भूमियों के संरक्षण की चुनौतियों आदि विषयों पर जानकारी साझा की गई। द कर्बेट फाउंडेशन ने तराई पचिमी वन प्रभाग के कर्मियों को तुमड़िया जलाशय में प्रवासी पक्षियों की पहचान, उनका महत्व, उनके आवास, खतरे और संरक्षण के बारे में जानकरी दी। कार्यक्रम में कर्बेट फाउंडेशन के प्रोजेक्ट अधिकारियों दीप्ति पटवाल एवं मनीषा बिष्ट ने वन कर्मियों को प्रवासी पक्षियों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षण दिया। डीएफओ ने बताया कि शुक्रवार को फाटो जोन में लोगों के पक्षियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर उप प्रभागीय वन अधिकारी आरके मौर्या, उप निदेशक कर्बेट फाउंडेशन ड़ हरेंद्र सिंह बर्गली, पाल सिंह बिष्ट, बिजेंद्र सिंह अधिकारी, ललित कुमार आदि मौजूद थे।

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