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भारत के इस दांव से हिंद-प्रशांत में लहराएगा ‘तिरंगा’, अगले दो साल में खत्म हो जाएगा चीन का खेल

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नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री मोदी की जब तीन दिन पहले हिरोशिमा से लेकर पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा शुरू हुई थी, तो यह अंदाजा जरूर लगाया जा रहा था कि बहुत कुछ बदलने वाला है, लेकिन दुनिया के अनछुए और बड़ी आबादी वाले भूभाग पर भारत इस कदर अपनी छाप छोड़ेगा, इसका अंदाजा दुनिया के बड़े-बड़े देशों को भी नहीं था। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पापुआ न्यू गिनी समेत हिंद प्रशांत देशों के द्वीप समूह वाले देशों लिए जारी की गई लाइन ऑफ क्रेडिट (मदद की भरमार) की शुरुआत हुई है, तो विदेशी मामलों के जानकारों ने कहना शुरू कर दिया है कि अगले दो साल के भीतर भारत ऐसे देशों का न सिर्फ सबसे बड़ा मददगार होगा, बल्कि चीन की इन देशों में दखलअंदाजी भी खत्म करेगा। दरअसल कभी इन देशों की मदद में ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस मदद सबसे आगे रहते थे। लेकिन इन दोनों देशों के पीछे हटने के बाद चीन ने अपना प्रभुत्व हिंद प्रशांत देशों वाले द्वीपसमूह में बढ़ाना शुरू कर दिया।
बीते 24 घंटे के भीतर प्रधानमंत्री मोदी के पापुआ न्यू गिनी में हुए स्वागत की तस्वीर और वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो गई। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने जब पीएम मोदी के पैर छुए, तो माना यही जाने लगा था कि अगले कुछ दिनों के भीतर ही भारत और पापुआ न्यू गिनी समेत हिंद प्रशांत के द्वीप समूह वाले देशों लिए भारत की ओर से लाइन आफ क्रेडिट जबरदस्त रूप से खुलने वाली है। भारतीय विदेश सेवा से जुड़े रहे वरिष्ठ अधिकारी और कई देशों में राजदूत समेत अन्य तमाम पद संभाल चुके अमरेंद्र कठुआ कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की तमाम सफल यात्राओं में से हिंद प्रशांत के द्वीप समूह वाले देशों की सबसे सफल यात्रा मानी जा सकती है। वह कहते हैं कि बीते 24 घंटे के भीतर ही जिस तरीके से भारत ने लाइन ऑफ क्रेडिट शुरू किया है वह बताता है कि भारत इन द्वीप समूह वाले देशों के लिए कितना सजग और मदद करने के लिए आगे खड़ा है। कठुआ कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा कई मामलों में बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक जीत के तौर पर देखी जा रही है।
कठुआ कहते हैं कि जिस तरीके से भारत ने इन देशों के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट जारी की है, उससे चीन को बहुत बड़ा झटका लगा है। उनका कहना है कि चीन जिस तरह से इन द्वीप समूह वाले देशों में निवेश करके अपना विस्तार कर रहा था, उसका इन देशों में विरोध हो रहा था। उनका कहना है कि विरोध का आलम यह था कि कई जगहों पर चीन अपने मन मुताबिक सत्ता परिवर्तन करके अपनी नीतियों को लागू कराने की हैसियत में आ गया था। लेकिन भारत की एंट्री के साथ और भारत की लाइन ऑफ क्रेडिट जारी होने के साथ चीन को फिलहाल यह तो समझ आ गया होगा कि भारत अब किस तरीके से इन देशों की मदद करने वाला है। कठुआ कहते हैं कि अभी तक इन देशों की ज्यादातर मदद फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ही करता आया है। लेकिन फ्रांस की बदहाल हो रही हालत और ऑस्ट्रेलिया के अपने अंदरूनी राजनीतिक मामलों के चलते अब इन देशों की मदद उतनी नहीं हो पा रही थी। उनका कहना है कि भारत में जिन मुद्दों पर और इन देशों की आबादी पर फोकस करते हुए मदद के लिए हाथ बढ़ाया है, उससे चीन के निवेश को अलग दो साल के भीतर बैरंग वापस होना पड़ सकता है।
उनका कहना है कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने किया और फिजी ने अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया, वह बताता है कि भारत से इन देशों को कितनी उम्मीद है। वह बताते हैं कि दरअसल यह उम्मीद इन देशों को भारत से इसलिए भी हुई, क्योंकि बीते कई दशकों से चीन इन देशों का न सिर्फ दोहन कर रहा था, बल्कि इनकी प्राकृतिक संपदाओं पर भी अपना अधिकार जमा कर इन देशों को मदद के नाम पर खोखला कर रहा था। अफ्रीकी देशों में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले विदेश सेवा के अधिकारी विक्रम एस राव कहते हैं कि हिंद प्रशांत देशों के लिए दुनिया के अब तक किसी भी बड़े देश ने अपने दरवाजे नहीं खोले थे। यही वजह थी कि चीन इसका फायदा उठाकर इन देशों में अपना न सिर्फ अधिपत्य जमाए हुए था, बल्कि वहां पर अपनी सुरक्षा बलों समेत तमाम बड़ी एजेंसियों को भी अलग-अलग जगहों पर तैनात कर चुका था। वह कहते हैं कि शुरुआती दौर में अमेरिका ने जरूर इन देशों में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश की लेकिन धीरे-धीरे अमेरिका ने भी हाथ खड़े कर दिए।
लाइन ऑफ क्रेडिट जारी करने के बाद इन देशों को की जाने वाली मदद में भारत ने पापुआ न्यू गिनी के लिए न सिर्फ इन्फ्राट्रक्चरल सेटअप का बड़ा बजट और बड़ी व्यवस्थाएं निर्धारित की हैं, बल्कि स्वास्थ्य चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान देने की शुरुआत कर दी है। भारत में जिन 12 सूत्रीय एक्शन प्लान के तहत द्वीप समूह वाले देशों की मदद का खाका तैयार किया है, उससे इन सभी देशों की अगले कुछ सालों में पूरी तस्वीर बदल जाएगी। दुनिया भर के अलग-अलग देशों में व्यापारिक दृष्टिकोण से नजर रखने वाले वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े अखिल सिक्का कहते हैं, भारत ने जिन पाइंट्स पर इन देशों के डेवलपमेंट का खाका खींचा है, वास्तव में चीन ने ऐसा कभी सोचा ही नहीं। अब भारत की मदद से पापुआ न्यू गिनी में उनके देश का सबसे बड़ा आईटी और साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग हब बनाया जाएगा। इसके अलावा अगले पांच सालों में अमृत स्कॉलरशिप के तहत सैकड़ों स्कॉलरशिप देने की घोषणा की गई है। उससे इस देश की पूरी भविष्य की तस्वीर बदल जाएगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इन द्वीप समूह वाले देशों में स्मॉल-मीडियम इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिए भारत न सिर्फ इन्हें स्किल ट्रेनिंग देगा बल्कि इनकी वित्तीय सहायता करके सभी छोटे-छोटे देशों को आत्मनिर्भर बनाकर उनकी मदद करेगा। रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर इन देशों में पीने वाले साफ पानी को उपलब्ध कराने के लिए लगाई जाने वाली यूनिट की भी स्थापना भारत करने जा रहा है। विदेश मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा में इन देशों को सबसे महत्वपूर्ण सुविधा चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली है। छोटे-छोटे द्वीप समूह वाले देशों में अभी भी दवाइयों से लेकर गंभीर बीमारियों में इलाज की सुविधा नहीं थी। भारत इन देशों में समुद्र में चलने वाली एंबुलेंस और भारत जन औषधि केंद्र की स्थापना करेगा। इसके अलावा पुरातन चिकित्सा पद्धति के माध्यम से लोगों का इलाज भी होगा और देश में योगा सेंटर खोले जाएंगे।
विदेशी मामलों के जानकार और इंटरनेशनल रिलेशन विद साउथ अफ्रीकन कंट्रीज के कोऑर्डिनेटर जगत मोहन शर्मा कहते हैं कि भारत ने जिस तरीके से इन दीप समूह वाले देशों के लिए मदद को हाथ आगे बढ़ाया है, वह एक बड़ी मिसाल के तौर पर देखा जाने वाला है। उनका कहना है दुनिया में ऐसे और भी कई छोटे-छोटे मुल्क हैं, जिन को दुनिया के कई बड़े देश या तो उस तरह से तवज्जो नहीं देते हैं और अगर देते भी हैं तो उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर उनको आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं करते। उनका कहना है कि अमेरिका शुरुआती दौर में ऐसे देशों पर अपना प्रभुत्व कायम रखता था, लेकिन उसकी पकड़ जैसे-जैसे ढीली होती गई चीन ने ऐसे छोटे देशों को अपना निशाना बनाना शुरू किया। चीन ने इन देशों में निवेश तो किया लेकिन वहां के लोगों के जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ। शर्मा कहते हैं कि भारत ने जिस तरह से इन देशों के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद को आगे हाथ बनाया है, उससे आने वाले दिनों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के तौर पर अपनी और पहचान स्थापित करेगा।

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