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बोरिस जानसन और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद हो सकती हैं कई घोषणाएं, द्विपक्षीय लक्ष्यों को लेकर बड़े एलान संभव

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नई दिल्ली, एजेंसी। यूक्रेन-रूस युद्घ पर विपरीत विचारधारा रखने के बावजूद भारत और ब्रिटेन इसका असर अपने द्विपक्षीय रिश्तों पर नहीं पड़ने देंगे। अगले हफ्ते भारत के दौरे पर आ रहे ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली मुलाकात द्विपक्षीय रिश्तों के भविष्य के लिहाज से काफी अहम साबित हो सकती है। दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक के दौरान द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर कुछ अहम घोषणा होने की संभावना है।
दोनों नेता भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले कारोबार समझौते को लहो रही वार्ता की भी समीक्षा करेंगे। वैसे इस यात्रा की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है लेकिन दोनो तरफ से इसकी तैयारियां जोरो पर हैं। यूक्रेन पर रूस के आक्रामण के बाद ब्रिटिश पीएम जानसन चौथे ऐसे वैश्विक नेता होंगे जिनसे मोदी की आमने सामने या वर्चुअल मुलाकात होगी। इसके पहले जापान व आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों और अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ उनकी वार्ता हो चुकी है।
पहले की तीनों बैठकों में यूक्रेन-रूस की स्थिति एक बड़ा मुद्दा रहा था उसी तरह से ब्रिटिश पीएम के साथ मुलाकात में भी यह एक बड़ा मुद्दा रहेगा। सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्घ के व्यापक असर को देखते हुए निश्चित तौर पर यह प्रधानमंत्रियों के बीच एक अहम विषय रहेगा लेकिन आगामी बैठक का मुख्य फोकस द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा को लेकर होगी।
हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर चर्चा भी होगी और कुछ अहम घोषणा भी होने की उम्मीद है। एक घोषणा भारत की तरफ से स्थापित इंडो पैसिफिक ओसियन इनिसियटिव (आइपीओआइ) अभियान में ब्रिटेन के शामिल होना भी शामिल है। हाल ही में भारत की यात्रा पर आई ब्रिटिश विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रुस ने इस बारे में अपने देश की सहमति का जिक्र किया था। ब्रिटेन ने हाल ही में हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर ज्यादा सक्रियता दिखानी शुरू की है।
दोनों देशों के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र में व्यापक सहयोग के कई एजेंडे पर विमर्श चल रहा है। ट्रुस की यात्रा के दौरान जिस गहनता से दोनों देशों के बीच भावी रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने को लेकर बातचीत हुई है, उससे संकेत है कि रक्षा क्षेत्र में साझा शोध व निर्माण मोदी और जानसन के बीच वार्ता का एक अहम पहलू होगा।
माना जा रहा है कि ब्रिटेन की रक्षा क्षेत्र की कंपनियों ने आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत में मैन्यूफैक्चरिंग करने को उत्सुक हैं। रक्षा क्षेत्र मे सहयोग की संभावनाओं को देख कर ही दोनो देशों के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता शुरू करने को लेकर भी बातचीत हो रही है।
भारत अभी जापान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, रूस जैसे कुछ गिने चुने देशों के साथ इस तरह की व्यवस्था के तहत सालाना बैठक करता है। देखना होगा कि मोदी और जानसन के बीच होने वाली बैठक के बाद इसकी घोषणा की जाती है या नहीं। जानकारों का कहना है कि यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ कारोबारी समझौता करने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच भी कारोबारी समझौते को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ गई है। इस बारे में भी घोषणा होने की संभावना है।

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