कोटद्वार-पौड़ी

चाई ग्रामोत्सव : नई पीढ़ी को गांवों से जोड़ना जरूरी

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चाई ग्रामोत्सव के दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर देर रात तक झूमते रहे दर्शक
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : चाई ग्रामोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को ग्राम विकास गोष्ठी और गढ़वाली लोक गीत नृत्य विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान नई पीढ़ी को गांव से जोड़ने के उपायों पर चर्चा की गई और गांव के सुनियोजित विकास पर जोर दिया गया। शाम को आयोजित समारोह में संस्कृति विभाग की टीम ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिस पर दर्शक देर रात तक झूमते रहे।
विकासखंड जयहरीखाल के ग्राम चाई में आयोजित ग्रामोत्सव के दूसरे दिन आयोजित ग्राम विकास गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि जीएमओयू कोटद्वार के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जीएमओयू अध्यक्ष ने कहा कि गांव चाई आज अपनी अनूठी पहल की वजह से पूरे राज्य व देश के लिए रोलमाडल बन गया है। उन्होंने कहा कि गांव के विकास का खाका गांव में बैठकर ही तैयार किया जाना चाहिए और इसमें स्थानीय ग्रामीणों की प्रभावी भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव स्वरोजगार व स्वावलंबन के बड़े केंद्र हो सकते हैं। नीति नियंताओं को इस दिशा में गहराई से सोचना चाहिए। पहाड़ की भूसंपदा को खरीद-फरोख्त से बचाकर ही हम गढ़भूमि को बचा सकते हैं। समारोह की विशिष्ट अतिथि जीएमओयू की महाप्रबंधक उषा सजवान ने कहा कि हमेंअपनी लोक भाषा गढ़वाली को बचाने के लिए घरों में गढ़वाली भाषा को महत्व देना होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामोत्सव का यह प्रयोग न सिर्फ अनूठा है बल्कि हम सबके लिए प्रेरक भी है। प्रत्येक गांव में इस तरह के आयोजन प्रतिवर्ष होने चाहिएं। गोष्ठी के वक्ता देवेंद्र बुड़ाकोटी ने कहा कि चाई ग्रामवासी अपनी व्यापक सोच के बूते गांव में विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहे हैं।
इस अवसर पर जगमोहन बुड़ाकोटी, सच्चिदानंद बुड़ाकोटी, अशोक बुड़ाकोटी, दीपक बुड़ाकोटी, संगीत बुड़ाकोटी, राजेश बुड़ाकोटी, अमनमो आदि ने विचार व्यक्त किए। शंभू प्रसाद बुड़ाकोटी की अध्यक्षता मेंआयोजित गोष्ठी का संचालन डा. पद्मेश बुड़ाकोटी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री पटवाल एवं विशिष्ट अतिथि उषा सजवान को अंग वस्त्र व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। समारोह के दूसरे सत्र में गढ़वाली लोक गीत नृत्य पर लोकगायक धर्मेंद्र रावत के निर्देशन में कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें बच्चों एवं महिलाओं ने लोक संगीत के कई गुर सीखे। उधर, शाम को हुए सांस्कृतिक समारोह में राजेंद्र रौथाण ग्रुप ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। संस्कृति विभाग के तत्वावधान में इस ग्रुप के थड़िया, चौफला, बाजूबंद, खुदेड़, घसियारी, झुमेलो आदि लोकगीतों पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे। सांस्कृतिक संध्या का संचालन राजेंद्र सिंह रौथाण ने किया।

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