हिमालयी क्षेत्रों में यारसा गांबू का अवैज्ञानिक दोहन पर चिंता जताई
अल्मोड़ा। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो़ सुनील नौटियाल ने हिमालयी क्षेत्रों में यारसा गांबू के अवैज्ञानिक दोहन पर चिंता जताई है। उन्होंने इस मसले को बीते दिनों दिल्ली में केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की अध्यक्षता में संस्थान की राष्ट्रीय बैठक में जोरशोर से उठाया। बैठक में सांसद अजय टम्टा ने शोध कार्यों को लेकर तमाम सुझाव दिए। निदेशक सुनील नौटियाल ने पर्वतीय क्षेत्रों में भीमल, अलसी, भांग आदि रेशेदार पौधों से कपड़ा आदि बनाने की अपार संभावनाएं जताई। इस संबंध में उन्होंने निट्रा (गाजियाबाद) के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने की बात कही। उन्होंने चीड़ वनों में प्रतिवर्ष अग्नि की समस्या से निपटने के लिए संस्थान की ओर से पिरूल से बनाये जा रहे धूम्ररहित कोयला, गत्ता, कागज से निर्मित फाइल कवर आदि उत्पादों की जानकारी भी बैठक में दी। उन्होंने कहा कि पिरूल के उपयोग से चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर ही उत्पाद बनने चाहिए। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए चीड़ की पत्तियों की थ्रेसिंग इकाइयां विकेन्द्रीत रूप से लगानी होगी। उन्होने इस कार्य के लिए वन विभाग से सहयोग लेने का सुझाव दिया। बैठक में पश्चिम बंगाल की वन मंत्री बीरबाहा हसदा, सचिव पर्यावरण मंत्रालय लीला नंदन, प्रो़ वीके गौड़, पूर्व वन प्रमुख आरबीएस रावत, महानिदेशक भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद ड़ अरुण रावत आदि मौजूद रहे।