उत्तराखंड

बागेश्वर में खड़िया खनन की जांच को कोर्ट कमिशनर नियुक्त

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने बागेश्वर तहसील के कपकोट में खनन माफियाओं की ओर से अवैध रूप किए जा रहे खड़िया खनन मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस पर पूर्व में लगाई गई रोक को जारी रखते हुए मामले की जांच को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। वहीं स्टेट इनवायरमेंट इम्पेक्ट असिस्टेंट अथरिटी (सिया) को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार, विपक्षीगण, राज्य पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मामले की जांच के लिए कोर्ट कमिश्नर की सहायता करने को भी कहा है। पिछली तिथि को कोर्ट ने राज्य को निर्देशित किया था कि भविष्य में इस क्षेत्र में कोई खनन पट्टा जारी न किया जाए। बुधवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान पट्टेधारकों की ओर से कहा गया है कि उनकी ओर से किसी तरह की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया है। वह सिया की ओर से जारी शर्तों के अनुरूप ही खनन कार्य कर रहे हैं। 2020 में भी एसडीएम व भू राजस्व अधिकारी की ओर से की गई जांच में कोई गड़बड़ी नहीं मिली। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि यह जांच 2020 में हुई थी लेकिन 2022 में शर्तों का उल्लंघन हुआ है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने इसकी जांच के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर रिपोर्ट फरवरी तक प्रस्तुत करने को कहा है।
यह है मामलारू मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर जिले की तहसील कपकोट के रिमाघाटी, गुलामप्रगड व भीयूं गांव में सरकार ने खनन पट्टा दिया है। जिसमें खनन माफिया मात्रा से अधिक अवैध खनन कर रहे हैं। अवैध खनन को बाहर ले जाने को वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना ली है। अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गांव के जलस्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध रूप से किए जा रहे खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गांव को बचाया जाए।

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