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दो और होटलों में आई दरारें, लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस हुआ तिरछा, बुधवार को किया जाएगा ध्वस्त

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जोशीमठ। जोशीमठ में भू-धंसाव नहीं रुक रहा है। अब तक शहर के 849 भवनों में दरारें आ चुकी हैं। वहीं, होटल माउंट व्यू और मलारी इन के बाद अब दो अन्य कमेट और स्नो क्रेस्ट होटलों में भी दरारें आई हैं। होटल आपस में मिलने लगे हैं। वहीं, तहसील भवनों के ऊपरी और निचले हिस्से में भी भू-धंसाव हो रहा है।
सीबीआरआई की ओर से इनकी मनीटरिंग की जा रही है। सचिव आपदा प्रबंधन ड़ सिन्हा ने बताया कि अगर ध्वस्तीकरण की जरूरत हुई तो इन्हें भी पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद ध्वस्त कर दिया जाएगा। सीबीआरआई ने मकानों पर क्रेकमीटर लगाए हैं। इससे दरारों की प्रवृत्ति का पता लगाया जा रहा है।
वहीं, लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस भी तिरछा हो गया है। यहां का पूरा भवन एक तरफ को धंस गया है। इसलिए प्रशासन ने इस पर ध्वस्तीकरण के लिए स्टीकर लगा दिया है। बुधवार को इसे डिस्मेंटल करने का काम शुरु होगा। यह पहला सरकारी भवन है जिस पर प्रशासन ने डिस्मेंटल का स्टीकर चस्पा कर दिया है।
बताया कि कुछ घरों और जमीन पर आई दरारों में एक से दो मिलीमीटर की वृद्घि हुई है, लेकिन नए घरों में दरारें नहीं आई हैं। वहीं, पानी का रिसाव भूमि के अंदर न हो इसके लिए खेतों की दरारों को भरने का काम भी जारी है।
जेपी कलोनी में भी खतरे को देखते हुए असुरक्षित भवनों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है। सीबीआरआई की ओर से सर्वे करने के बाद असुरक्षित घरों को होटलों की तरह वैज्ञानिक तरीके से ध्वस्त किया जाएगा।
वहीं, होटल माउंट व्यू को ढहाने का काम मंगलवार को भी जारी है। यहां डायमंड कटर से छत को तोड़ने का काम किया जा रहा है। होटल को ऊपर से नीचे की ओर तोड़ने की कार्रवाई होगी।
अब तक न्यूनतम स्तर पर 163 एलपीएम पर पहुंचा जल प्रवाह
जोशीमठ में जेपी कलोनी में जल प्रवाह में कमी आई है। पानी का प्रवाह छह जनवरी को 540 एलपीएम था, जो वर्तमान में घटकर 163 एलपीएम के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। पानी के प्रवाह में आई कमी के साथ मटमैलापन भी कम हुआ है। 14 जनवरी को जहांं 240 लीटर प्रति मिनट पानी बह रहा था, वहीं, 15 जनवरी को यह घटकर 163 एलपीएम हो गया है। यहां आ रहे पानी में मटमैलापन भी कम हो रहा है। शुरुआत में इस पानी में करीब 50 हजार मिलियन पार्टिकल्स (कण) थे, जो अब 23 हजार रह गए हैं। सचिव आपदा प्रबंधन ड़ रंजीत सिन्हा ने बताया कि जेपी कलोनी में हो रहा पानी का रिसाव कम हुआ है। पानी का मटमैलापन भी धीरे-धीरे कम हो रहा है।

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