उत्तराखंड संस्त अकादमी का गीता जयंती महोत्सव सम्पन्न
नई टिहरी। श्री रघुनाथ कीर्ति केंद्रीय संस्त विश्व विद्यालय परिसर देवप्रयाग में उत्तराखण्ड संस्त अकादमी पौड़ी की ओर से गीता जयंती महोत्सव आयोजित की गई। महोत्सव में वक्ताओं ने श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेशों को जीवन के लिये अत्यंत उपयोगी बताया। बुधवार को तीन दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के समापन पर अध्यक्षता करते हुये राष्ट्रपति सम्मानित महामहोपाध्याय प्रो़ ड़ वेद प्रकाश उपाध्याय ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में लोक कल्याण, विश्व मंगल, विश्व बंधुत्व का संदेश गीता में सन्निहित है। वेद परम्परा से अनुप्राणित श्रीमद्भगवद्गीता में प्रतिपादित कर्म सिद्घांत को जीवन में प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। मुख्य वक्ता केंद्रीय संस्त विश्वविद्यालय निदेशक प्रो़ विजयपाल शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में कहे गए कर्म सिद्घांतों को आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक माना गया है। मुख्य अतिथि जेएनयू के आचार्य हरिराम मिश्र ने कहा कि कर्म मीमांसा को तार्किक एवं व्यवहारिक दृष्टिकोण से जीवन में उपयोग करना चाहिए। विशिष्ठ अतिथि केंद्रीय संस्त विश्वविद्यालय जम्मू वेद विभागाध्यक्ष प्रो़ मनोज मिश्र ने मधुसूदन सरस्वती के भाष्य के आधार पर गीता के 18 अध्यायों का महवपूर्ण दार्शनिक पक्षों को उद्घृत किया। सारस्वत अतिथि व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो़ बनमाली विश्वाल ने कहा कि मानव मात्र के कल्याण का मार्ग श्रीमद्भगवद्गीता प्रशस्त करती है। उत्तराखंड संस्त अकादमी के राज्य संयोजक ड़ हरिशचंद्र गुरुरानी ने गीता मास महोत्सव के संकल्प और उद्देश्य को बताते हुये गीता पारायण पर विशेष बल दिया। सहवक्ता ड़ रतनलाल शर्मा शास्त्री ने जीवन दर्शन में कर्मों की महत्ता पर प्रकाश डाला। मौके पर ड़ शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, ड़ सच्चिदानंद स्नेही, ड़ अनिल कुमार, ड़ श्रीओम शर्मा, ड़ सुरेश शर्मा, ड़ दिनेश चंद्र पाण्डेय, ड़ अमन्द मिश्र, ड़ मनीष शर्मा, जनार्दन द्विवेदी आदि मौजूद थे।