कैबिनेट बैठक में फैसला नहीं लिया तो आशा करेंगी उग्र आंदोलन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 52वें दिन तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। आशाओं ने चेतावनी देते हएु कहा कि आगामी 24 सिंतबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों को लेकर फैसला नहीं लिया गया तो प्रदेश में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार आशाओं को आश्वासन ही दे रही है लेकिन उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गत मंगलवार को सचिवालय का घेराव करने गई देहरादून की आशाओं को भी आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आशाओं के साथ अन्याय कर रही है। सरकार को सोचना चाहिए कि इस मंहगाई के समय में 2 हजार रूपये में कोई भी अपना परिवार कैसे पाल सकता है। सरकार को न्यूनतम वेतन देना होगा। प्रभा चौधरी ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, सहित 12 सूत्रीय मांगें पूरी करने की मांग प्रदेश सरकार से की। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, यशोदा जखमोला, सुमित्रा भट्ट, अनीता घिल्डियाल, नीलम कुकरेती, मंजू नेगी, गोदाम्बरी, सीमा शाही, धनेश्वरी, सुमन राठौर, कल्पना काला, कमला बलूनी, गीता देवी, कलावती देवी, राखी, उषा, संजू नेगी, शोभा, सुनीता, कांति कंडारी, कल्पना बिष्ट, विमला जोशी, दीपा रावत, दीपा गुंसाई, ऊषा चौहान, विनीता काला, ज्योति रावत, बबीता, हेमलता आदि शामिल थे।