स्कूल में फेसबुक, वाट्सअप चला रहे हो तो अटेंडेंस क्यों नहीं

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देहरादून। शिक्षकों के लिए लोकेशन के साथ ऑनलाइन हाजिरी भरने की व्यवस्था का मुद्दा गरमाने लगा। सोशल मीडिया पर जहां नई व्यवस्था के विरोध में शिक्षक मुखर है, वहीं कई शिक्षकों ने इस व्यवस्था को समर्थन भी किया है। शिक्षक गोपाल मेहता ने लिखा कि आखिर दिक्कत क्यों? जब आप समय पर आना जाना कर ही रहे हो तो लगा दो अंगूठा। क्यों खुद को कमजोर करते हैं। नीरज मैंदोलिया ने लिखा कि स्विफचेट में पांच सेकेंड में चेक इन कर अटेंडेस लग जा रही है लोकेशन में। बहुत आसान है। यह होना ही चाहिए। इसके बाद बायोमीट्रिक की भी आवश्यकता नहीं है। शिक्षक संघ फालतू के मुद्दे उठाता है। अरुण मैंदोलिया कहते है कि लोग कह रहे हैं कि फोन हमारा निजी है। तो स्कूल में फेसबुक, वाट्सअप क्यो चला रहे हो भाई? विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की फोटो, वीडियो भी ये लोग अपने निजी फोन व डाटा से भेज रहे हैं। वहां भी बोला न कि यह फोन हमारा निजी है। दूसरी तरफ, दिनेश चंद्र पाठक लिखते है कि योजना का स्वागत है। अनुरोध बस इतना है कि मोबाइल मेरे व्यक्तिगत कार्यों हेतु अपनी मेहनत के रुपयों से लिया है। विभागीय कार्य के लिए आप विभागीय उपकरण दिलाइये। दूसरी तरफ,जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनेाद थापा ने कहा कि कोई भी नई व्यवस्था शिक्षकों को विश्वास में लेकर ही लागू की जानी चाहिए। स्कूलो में शिक्षक नहीं है। प्रधानाध्यापक तक नहीं है। कई क्षेत्रों में नेटवर्क की कनेक्टिविटी तक नहीं है। थापा ने कहा कि एक बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए शिक्षकों को सहयोगी समझे विभाग औऱ सरकार संदिग्ध न समझे। इसलिए विवाद: पिछले दिनों समग्र शिक्षा परियोजना के एपीडी कुलदीप गैरोला ने सभी शिक्षा अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। उसमें बताया गया कि जल्द ही विद्या समीक्षा केंद्र के एप में नया फीचर जोड़ा जा रहा है, जिससे अटेंडेंस भरते वक्त लोकेशन भी दर्ज होगी। महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान के अनुसार अभी इस विषय पर चर्चा भर हुई है। इसे लागू नहीं किया गया है। न जाने क्यों विरोध किया जा रहा है? भविष्य में इस फीचर को जोड़ा जाएगा तो व्यवहारिकता भी अवश्य ही देखी जाएगी।

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