उत्तराखंड

गौरीकुंड में मां गौरीमाई के कपाट हुए बंद

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रुद्रप्रयाग। गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। मां गौरा देवी की छह माह शीतकाल पूजा अर्चना अब गौरी गांव के चंडिका मंदिर में की जाएगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्तों मां गौरा के दर्शन किए।
शनिवार को सुबह पांच बजे पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर में मां गौरा की विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया। जिसके बाद ही कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरा की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर श्रृंगार किया गया। ठीक 8 बजे पुजारी विमल जमलोकी एवं ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों के दर्शनार्थ मां गौरा माई के कपाट बंद किए। मां की डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई। इस दौरान भक्तों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मां गौरामाई के गौरी गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने फूल मालाओं एवं अक्षतों से जोरदार स्वागत किया। मां की भोग मूर्ति को चंडिका मंदिर में विराजमान किया गया। अब शीतकाल के छह माह तक यहीं पर मां गौरामाई की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी। इस मौके पर मठापति संपूर्णानंद गोस्वामी, पुजारी विमल जमलोकी, मंदिर प्रबंधक कैलाश बगवाडी, संरपच वन पंचायत विष्णु दत्त समेत गौरी गांव के ग्रामीण मौजूद थे।

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