कोटद्वार-पौड़ी

काश्तकारों को सता रही बरसात की खेती की चिंता

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम के वार्ड नंबर 37 पश्चिमी झण्डीचौड़ में सिंचाई नहर जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से काश्तकारों को बरसात की खेती की चिंता सता रही है। किसानों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से सिंचाई नहरों की मरम्मत नहीं कराई गई है। विभागीय लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
पार्षद सुखपाल शाह ने बताया कि नहर क्षतिग्रस्त होने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग 1 वर्ष से पूर्व सिंचाई नहरों की मरम्मत कराने को लेकर प्रस्ताव भेजे थे, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। आने वाले समय में बरसात की खेती करने में बहुत बड़ी परेशानी किसानों के लिए होने वाली है। पार्षद ने कहा कि विगत 26 मई को कोटद्वार विधानसभा के विधायक एवं प्रदेश के वन मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत ने पार्षदों से कोरोना महामारी से बचाव एवं अन्य सुझाव मांगे थे। जिस पर पार्षद सुखपाल शाह, पार्षद मनीष भट्ट ने मंत्री के समक्ष ग्रामीण क्षेत्रों के वार्डों में किसानों की सिंचाई नहरों के दुर्दशा का मुद्दा उठाया था। पार्षदों ने कहा था कि कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण इलाकों को जहां पर खेती-बाड़ी का कार्य होता है उन क्षेत्रों की गूल, नाली, नहरों का निर्माण मनरेगा जैसी योजना के तहत कराया जाय। उन्होंने कहा कि जो धनराशि उक्त कार्य के लिए पंचायतों में आती थी ग्र्रामीण क्षेत्र पार्षदों को उसी तर्ज उसका वित्तीय अधिकार/कार्य करने का अधिकार दिया जाए। ताकि सिंचाई गूलों/नहरों का निर्माण कराया जा सके। पार्षद सुखपाल शाह ने कहा कि एक ओर जहां केन्द्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर भाबर में सिंचाई के लिए नहरों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है। पहले नाबार्ड से सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग जलागम से किसानों के लिए सिंचाई गुल का निर्माण होता रहता था, मगर अब निगम बनने के कारण यहां पर सिंचाई गूल का निर्माण बिल्कुल बंद हो चुका है।

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