हास्य रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को किया लोट-पोट
श्रीनगर गढ़वाल : हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद की ओर से गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित जंतु विज्ञान विभाग में होली के तौर तरीकों पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर पारंपरिक खड़ी और बैठकी होली के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में मनाई जाने वाली होली पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम में हिमालय कला परिषद के नीरज नैथानी ने हिमालयी राज्य उत्तराखंड की पारंपरिक खड़ी और बैठकी होली के साथ ही बनारस की मसाने की होली, ब्रज की लट्ठमार होली, वृंदावन मथुरा की फूलों व गुलाल की होली और मैथिली होली पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मौके पर हास्य रचनाएं पढ़कर श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया। रंगकर्मी विमल बहुगुणा ने पर्वतीय होली की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए प्रमुख प्रचलित होली गीतों का गायन कर माहौल को संगीतमय बनाया। इस पर सभी लोग होली की मस्ती में डूब गए। प्रसिद्ध कवि और चित्रकार जय कृष्ण पैन्यूली की समसामयिक शायरी पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाईं। रुद्रप्रयाग से पहुंचे अजय चौधरी ने लोकभाषा गढ़वाली में होली गायन की शानदार प्रस्तुतियां दीं। माधुरी नैथानी के फाल्गुन गीत से गोष्ठी साहित्यिक रस में सराबोर हो गई। डॉ. राजेश की स्वरचित रचना आ अब घर लौट चलें को श्रोताओं ने खूब सराहा। सचिन कोटियाल ने गढ़वाली रचना का सस्वर पाठ किया। अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रकाश नौटियाल ने सेमिनार आयोजित करने पर हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर का आभार व्यक्त कर स्वरचित हास्य व्यंग्य रचना का शानदार पाठ किया। इस मौके पर डॉ. प्रकाश चमोली, आरपी कपरवाण, जयेंद्र, डॉ. दीपक भंडारी आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)