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मोदी सरकार 2.0 के पहले साल में पूरा हुआ बीजेपी का मुख्य अजेंडा लेकिन कोविड-19 से पैदा हुई बड़ी चुनौती

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नई दिल्ली, एजेन्सी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के साथ 30 मई, 2019 को शपथ ग्रहण किया था। इस लिहाज से शनिवार को उसकी पहली वर्षगांठ है। बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़ी दशकों पुरानी मांगों को पूरा करने के लिए ही याद किया जाएगा।
आर्टिकल 370 हटाया, राम मंदिर का रास्ता साफ
पीएम मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनसमर्थन का इस्तेमाल बीजेपी के वैचारिक सपनों को पूरा करने में किया। उन्होंने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया। मोदी सरकार ने इस अवधि में दूसरी बड़ी वैचारिक उपलब्धि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ हासिल की।
सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को संसद से एक प्रस्ताव पास करवाकर आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी कर दिया और राज्य को दो हिस्सों में बांटकर दोनों को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया। इस तरह अब जम्मू और कश्मीर एक प्रदेश जबकि लद्दाख दूसरा प्रदेश बन चुका है। वहीं, भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता देश के सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया। ये दोनों मुद्दे बीजेपी के अजेंडे में दशकों से शामिल रहे हैं। इन्हीं मुद्दों की वजह से बीजेपी लंबे समय तक ज्यादातर राजनीतिक दलों के लिए अछूत बनी रही थी।
आते ही तीन तलाक बिल पास
मोदी सरकार ने दूसरा कार्याकाल शुरू करते ही मुस्लिम समुदाय में बेहद विवादित तीन तलाक को खत्म करने संबंधी विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पास करवा लिया। बाद में सरकार ने उससे भी विवादित नागरिकता (संशोधन) कानून को भी संसद के पास करवाने में सफलता हासिल की। बीजेपी उपाध्यक्ष विन सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मोदी 2.0 का पहला साल वादा पूरा करने का वर्ष रहा है।
सीएए में पड़ोसी देशों से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, जिसका देशव्यापी विरोध हुआ। विरोध-प्रदर्शनों की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा कि अभी सरकार में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की चर्चा तक नहीं हुई है। विरोधी दलों और सामाजिक समूहों ने आशंका व्यक्त की कि सीएए से मुस्लिमों के साथ भेदभाव हो सकता है।
सीएए के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच ही कोरोना संकट आ गया जिससे प्रवासी मजूदरों का एक नया संकट खड़ा हो गया। लाखों की संख्या में मजदूर अपने-अपने घरों को लौटने के बेताब हो उठे। 25 मार्च को पहली बार देशव्यापी लॉकडाउन घोषित होने के बाद से स्थाई तौर पर चर्चा के केंद्र में सिर्फ और सिर्फ कोविड-19 महामारी ही है।
सहस्त्र बुद्धे ने कहा कि सरकार और बीजेपी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई बेहद उत्साहपूर्वक लड़ रही है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट से उबरने के लिए पीएम मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का आह्वान और कुछ नहीं बल्कि ‘अंत्योदय’ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ही है। सहस्त्रबुद्ध ने कहा, ‘चुनौती को अवसर में बदल देना ही आगे का रास्ता है।’

पार्टी संगठन से सरकार में आए अमित शाह
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह को पार्टी संगठन से निकालकर सरकार में शामिल किया गया जो पीएम मोदी के बाद सबसे ताकतवर मंत्री के रूप में उभरे। देश के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने जम्मू-कश्मीर, सीएए समेत अन्य कई बड़े फैसलों की रूपरेखा तय की और उन्हें आगे दमदार तरीके से आगे बढ़ाया। वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा को जनवरी 2020 में शाह की जगह बीजेपी की अध्यक्षता सौंपी गई।

चार राज्यों में चुनाव, हर जगह झटका
इस बीच महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हुए। महाराष्ट्र में मोदी फैक्टर काम नहीं आया और वहां बीजेपी ने क्षमता से अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन किया। नतीजा यह रहा कि शिव सेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग पर डटते हुए बीजेपी से दशकों पुरानी दोस्ती तोड़ दी और विरोधियों के साथ मिलकर सरकार बना ली। वहीं, हरियाणा में भी पार्टी को सरकार में वापसी के लिए जननायक जनती पार्टी का साथ लेना पड़ा। झारखंड में पार्टी को बड़ा झटका लगा और वहां बीजेपी सरकार से बाहर हो गई। दिल्ली में भी अपार मेहनत के बावजूद बीजेपी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को पछाड़ नहीं सकी और 21 साल बाद दिल्ली की गद्दी पर आसीन होने का सपना चकनाचूर हो गया।

कर्नाटक, मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी
हालांकि, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में बीजेपी को खोई सत्ता वापस हासिल करने में सफलता मिली। दोनों ही राज्यों में प्रतिस्पर्धी दलों में फूट पड़ी और बीजेपी को फायदा मिला। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा दोबारा मुख्यमंत्री बन गए। वहीं, मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का बड़ा चेहरा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समर्थकों के साथ बीजेपी का रुख कर लिया और वहां फिर से शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री की गद्दी मिल गई। कोरोना संकट ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर असमंजस की स्थितिपैदा कर दी है। इस साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार, फिर अगले वर्ष प. बंगाल, केरल, असम, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने वाले हैं।

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