कोटद्वार-पौड़ी

लाखों किए खर्च, फिर भी आबादी में पहुंच रहे हाथी

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सनेह में हाथी की धमक रोकने के लिए बनाई गई है सुरक्षा दीवार
आए दिन फसल बर्बाद होने से आर्थिक नुकसान झेल रहे काश्तकार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : वन विभाग ने लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज में हाथी सुरक्षा दीवार व फेंसिंग लाइन के नाम पर करोड़ों की धनराशि फूंक दी। लेकिन, इसके बाद भी आबादी में हाथियों की धमक थमने का नाम नहीं ले रही। सनेह क्षेत्र में बौनी पड़ी सुरक्षा दीवार को लांघकर आए दिन हाथियों का झुंड आबादी में प्रवेश कर रहा है। जबकि, सड़क किनारे लगाई गई फेंसिंग लाइन भी केवल शोपीस बनकर रह गई है। ऐसे में काश्तकार पूरी रात जागकर फसल की रखवाली को मजबूर हो रहे हैं।
वर्ष 2014-15 में सनेह क्षेत्र के रामपुर में हाथियों को रोकने के लिए करीब 1150 मीटर सुरक्षा दीवार बनाई गई थी। उम्मीद थी कि सुरक्षा दीवार निर्माण के बाद हाथी आबादी में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। लेकिन, वर्तमान में यह सुरक्षा दीवार हाथियों को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। यही नहीं देखरेख के अभाव में क्षेत्र में लगाई गई फेंसिंग लाइन ने भी करंट छोड़ना बंद कर दिया है। काश्तकार मोहन सिंह ने बताया कि हाथी सुरक्षा दीवार में जंगल की ओर से मिट्टी के टीले जमा हो गए हैं। जिसमें चढ़कर हाथी आसानी से दीवार को लांघ लेता है। मिट्टी के टीलों को हटाने के लिए कई बार वन विभाग से शिकायत कर चुके हैं। बाजवूद इसके समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं, फेंलिंग लाइन लगाने के बाद वन विभाग ने इसकी दोबारा सुध नहीं ली। नतीजा यह भी अब जवाब दे चुकी है।

खेती छोड़ने को मजबूतर काश्तकार
आए दिन आबादी में पहुंच रहे हाथी काश्तकारों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। फसल बर्बाद होने से काश्तकारों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में कई काश्तकार खेती छोड़ मजदूरी करने को मजबूर हो गए हैं। काश्तकारों का आरोप है कि उन्हें पूर्व में हुए नुकसान का भी अब तक मुआवजा नहीं मिला है। ऐसे में उनके समक्ष परिचार की आर्थिक चलाने के लिए मजबूरी ही एक साधन है।

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