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नौसेना ने आईएनएस विक्रांत पर पहली बार कराई तेजस की सफल लैंडिंग, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि

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नई दिल्ली, पीटीआई। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में बड़ी सामरिक-रणनीतिक भूमिका का आधार तैयार कर रही भारतीय नौसेना ने सोमवार को स्वदेश निर्मित लाइट कम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए-नेवी) को विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सफलतापूर्वक उतार कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। विमान वाहक पोत पर स्वदेशी एलसीए की सफल लैंडिंग नौसेना की सामरिक क्षमता के लिहाज से मील का पत्थर से कम नहीं है।
भारतीय नौसेना आधुनिकीकरण के साथ ही समुद्र में अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए हथियारों और मिसाइलों के अलावा अपने एयर विंग को भी मजबूत करने में जुटी है। आईएनएस विक्रांत पर एलएसी की सफल लैंडिंग इस लिहाज से अहम है कि नौसेना को इन हल्के लड़ाकू विमानों को हासिल करने के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना होगा और हिन्दुस्तान एरोनटिक्स लिमिटेड वायुसेना के साथ ही नौसेना के लिए इनका निर्माण कर रहा है।
नौसेना ने एलसीए की सफल लैंडिंग पर एक संक्षिप्त बयान जारी करते हुए कहा कि नौसेना के पायलटों के पायलटों द्वारा आईएनएस विक्रांत पर एलसीए की लैंडिंग करने के बाद भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया है। नौसेना के अनुसार इस सफल लैंडिंग ने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ स्वदेशी विमानवाहक पोत को डिजाइन, विकसित, निर्माण और संचालित करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया है।
मालूम हो कि भारत के पहले पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को चालू किया पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। विक्रांत के जरिए भारत ने 40,000 टन श्रेणी से ऊपर के विमान वाहक पोत बनाने में सक्षम राष्ट्रों के एक विशिष्ट समूह में अपनी जगह बना ली।
नौसेना ने इसे अपने बेड़े में शामिल करते वक्त साफ कहा था कि विमान वाहक पोत विक्रांत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाने में सक्षम होगा। काबिले गौर है कि दक्षिण चीन सागर ही नहीं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी नौसेना समय-समय पर आक्रामक तेवर दिखाने की कोशिश करती रही है। भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत स्वाभाविक रूप से इस क्षेत्र की सामरिक रणनीति का संतुलन बनाए रखने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।

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