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भारत-कनाडा विवाद में अब पाकिस्तान की एंट्री: दहशतगर्दों के पनाहगार को कुलभूषण याद रहा, मगर करीमा बलूच को भूला

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नई दिल्ली, एजेंसी। खालिस्तानी आतंकियों को लेकर भारत और कनाडा के बीच शुरु हुए विवाद में अब पाकिस्तान की एंट्री हो गई है। इससे पहले कि आतंकियों के पनाहगार, पाकिस्तान का भांडा फूटता, वह भारत के खिलाफ ही आग उगलने लगा। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के पीएम ने जो बयान दिया था, उसके बाद शुरु हुए विवाद में पाकिस्तान के विदेश सचिव सयरुस काजी ने उल्टा चोर कोतवाल को डाटे, वाली कहावत चरितार्थ कर दी।
उन्होंने कहा, कनाडा सरकार के खुलासे से उन्हें कोई आश्चर्य नहीं है। उन्होंने भारत पर ही आतंकवाद फैलाने का बेबुनियाद आरोप लगा दिया। पाकिस्तान के विदेश सचिव ने कुलभूषण जाघव का जिक्र कर दिया, जो उसकी जेल में बंद है। सयरुस काजी, जिस वक्त कुलभूषण जाघव का जिक्र कर रहे थे, उन्हें कनाडा में तीन साल पहले मारी गई पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता ‘करीमा बलूच’ याद नहीं आई। वही करीमा बलूच, जिसकी हत्या को लेकर यह आशंका जाहिर की गई थी कि उसके पीछे पाकिस्तानी ‘आईएसआई’ का हाथ है।
खालिस्तानी आतंकियों को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ गया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है। हालांकि निज्जर, एनआईए के टॉप मोस्ट आतंकियों की सूची में शामिल था। जस्टिन ट्रूडो के इस बयान के बाद खालिस्तानी निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका की जांच के मद्देनजर कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया है।
इसके जवाब में भारत ने भी कनाडा के राजनयिक को स्वदेश छोड़ने के लिए कह दिया। भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सर्विस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दूसरी तरफ खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू, कनाडा में रह रहे हिंदुओं को वहां से निकलने की धमकी दे रहा है। इतना कुछ होने पर भी कनाडा सरकार मौन है।
भारतीय एजेंसियों ने इस बाबत पुख्ता सबूत जुटाएं हैं कि खालिस्तानी आतंकियों के खेल में पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तान में जाकर गुरपतवंत सिंह पन्नू, आईएसआई के लोगों से मिलता है। लाहौर में प्रेसवार्ता कर खालिस्तान के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की घोषणा करता है। पाकिस्तान में भी खालिस्तानी आतंकी मारे जाते हैं।
इंटेलिजेंस एवं सिक्योरिटी एक्सपर्ट कैप्टन अनिल गौर (रि.) का कहना है, अब पाकिस्तान, भारत और कनाडा के मामले में कूद कर अपनी खाल बचा रहा है। उसे डर है कि कहीं उसकी पोल दोबारा से न खुल जाए। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान, आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। उसकी जमीन पर आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग कैंप हैं। वह आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराता है। जम्मू कश्मीर में अनेक पाकिस्तानी आतंकी, भारतीय सुरक्षा बलों की गोली का निशाना बने हैं। पाकिस्तान के विदेश सचिव सयरुस काजी यह क्यों भूल जाते हैं कि कनाडा में तीन साल पहले जब पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता और वहां की सेना के अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली करीमा बलूच मारी गई तो आईएसआई चुप थी। पाकिस्तान के हुक्मरान भी मौन थे। उधर, कनाडा के पीएम ट्रूडो ने भी उस मामले में कुछ नहीं कहा। तब भी यही आशंका जताई गई थी कि करीमा बलूच की हत्या के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई का हाथ है। अब पाकिस्तान, कुलभूषण जाघव का मामला उठा रहा है।
पाकिस्तान के विदेश सचिव सयरुस काजी ने न्यूयॉर्क में कहा, कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान से हिरासत में लिया गया था। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी कोर्ट ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। काजी ने आगे कहा, उन्हें कनाडा के खुलासे पर कोई आश्चर्य नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क पहुंचे काजी ने भारत पर आतंकवाद फैलाने का बेबुनियाद आरोप लगा दिया। वे बोले, कुलभूषण जाधव, भारतीय नौसेना का पूर्व अधिकारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलभूषण जाधव, पाकिस्तान को अस्थिर करने में लगे हुए थे। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी भारत के खिलाफ जहर उगला था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा था कि वह भारत को हिंदू और आतंकी राष्ट्र स्वीकार कर ले। कनाडा के पीएम ट्रूडो का संसद में बयान, एक बड़ा आरोप है। दुनिया के सामने भारत का खुलासा हो गया है।
भारत-कनाडा विवाद पर पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है कि यह मामला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। एक जिम्मेदार देश का प्रधानमंत्री, महज वोट बैंक की राजनीति के लिए इतना गैर जिम्मेदाराना बयान दे सकता है। ऐसा तो बहुत कम देखने को मिलता है। कोई भी देश ऐसा नहीं होने देता, जिससे कि उसकी स्थानीय राजनीति, विदेश नीति को प्रभावित करे। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने राजनीतिक ग्राफ को गिरने से बचाने के लिए भारत के खिलाफ बयान दिया है। वे खुद अल्पमत वाली सरकार चला रहे हैं। उनकी अपनी सीमाएं हैं। उन्हें इस पर गौर करना चाहिए। सत्ता के लालच ने उन्हें शरारती और अलगाववादी तत्वों से समर्थन लेने के लिए मजबूर कर दिया है। जिस तरह से उन्होंने संसद में बयान दिया है और जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की जानी चाहिए।

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