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शिवाजी पर टिप्पणी को लेकर उद्घव बोले, राज्यपाल कोश्यारी को नहीं हटाया गया तो आंदोलन होगा

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मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्घव ठाकरे ने धमकी दी है कि यदि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नहीं हटाया गया, तो प्रदेश में बड़ा आंदोलन होगा। उन्होंने सभी ‘महाराष्ट्र प्रेमियों’ को इस आंदोलन के लिए संगठित होने की अपील की है।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का आदर्श बताने पर महाराष्ट्र में बवाल बढ़ता जा रहा है। सभी भाजपा विरोधी दलों के लिए अब यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। वीरवार को पूर्व मुख्यमंत्री व शिवसेना उद्घव बाला साहब ठाकरे यानी उद्घव गुट के अध्यक्ष उद्घव ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन में धमकी दी कि यदि राज्यपाल को जल्दी नहीं बदला गया, तो महाराष्ट्र बंद जैसा बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने सभी महाराष्ट्र प्रेमियों से राज्यपाल कोश्यारी के विरुद्घ दो दिन के अंदर एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जिनके लिए वृद्घाश्रम में भी जगह नहीं रहती, उन्हें राज्यपाल बनाकर क्यों भेजा जाता है ?
उद्घव ने कुछ पुरानी घटनाओं की याद दिलाते हुए कहा कि मैं अब कोश्यारी को राज्यपाल नहीं कहूंगा। कोश्यारी ने कुछ दिनों पहले मुंबई और ठाणे के लोगों का अपमान किया था। मैंने तभी कहा था कि इन्हें कोल्हापुरी चप्पल दिखानी चाहिए। उससे पहले उन्होंने सावित्री बाई फुले के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की। तब हम लोगों ने सोचा कि चलो जाने दो, लेकिन अब हमारे देवता छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करने की इनकी हिम्मत पड़ गई। इस तरह उनका दिमाग फिरने के पीटे कौन है, यह देखना चाहिए। उद्घव ने कहा कि भाजपा इस पर मिनमिनाते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है। इस तरह कोई भी आकर चपत लगा जाएगा, तो चलेगा क्या? जरूरत पड़ी तो हम ऐसे ‘महाराष्ट्र द्रोहियों’ के खिलाफ ‘महाराष्ट्र बंद करेंगे’।
इसी संवाददाता सम्मेलन में उद्घव ठाकरे ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों की नियुक्ति पद्घति पर की गई टिप्पणी पर भी विरोध जताया। उद्घव ने कहा कि कानून मंत्री द्वारा कोलेजियम पद्घति से जजों की नियुक्ति पर आशंका जताने से लगता है कि केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति का अधिकार भी अपने हाथ में लेना चाहती है। इसका विरोध होना चाहिए। उद्घव ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को राजनीतिक प्रभाव से बेअसर रखने की सलाह का समर्थन करते हुए कहा कि इसी प्रकार राज्यपालों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्था बननी चाहिए। राज्यपाल ऐसा होना चाहिए, जो राज्य और केंद्र के बीच संवाद स्थापित करने का काम करे।
राकांपा अध्यक्ष ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि जब मैंने शिव छत्रपति के बारे में उनका बयान सुना तो मुझे लगा कि ये तो सारी सीमाएं लांघ गए हैं। हालांकि कल उन्होंने शिवाजी महाराज की प्रशंसा की, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। पवार ने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है। इसीलिए मैंने अब तक उनके बारे में कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को उनके बारे में शीघ्र कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां नहीं देनी चाहिएं।

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