उत्तराखंड

र्केब्रिज विवि के छात्र का शोध प्रबंधन निरस्त कर उपाधि वापस की जाए

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हरिद्वार। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोध छात्राषिराज पोपट के शोध कार्य को लेकर उत्तराखंड संस्त विश्वविद्यालय और भगवानदास आदर्श महाविद्यालय के संस्त आचार्यों ने सवाल खड़े किए हैं। आरोप लगाया किाषिराज में अपने शोध कार्य में मनगढंत, दुर्भावनापूर्ण एवं सर्वथा अनौचित्यपूर्ण तर्क दिए हैं। शोध कार्य में आचार्य कात्यायन एवं आचार्य पतंजलि के, पाणिनीय सूत्र का गलत तर्क दिया गया है जिसका खंडन करते हैं।
प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता करते हुए उत्तराखण्ड संस्त विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष ड़ शैलेश कुमार तिवारी ने कहा किाषिराज ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस प्रकार का कार्य किया है। श्रीभगवानदास आदर्श संस्त महाविद्यालय के साहित्य विभागाध्यक्ष ड़ निरंजन मिश्र, संस्त विश्वविद्यालय के वेद विभाग के अध्यक्ष ड़ अरुण कुमार मिश्र ने बताया किाषिराज पोपट ने हमारेाषियों के द्वारा प्रदत्त व्याख्यान को झुठलाने का अत्यन्त निन्दनीय कार्य किया है।
उत्तराखंड संस्त विश्वविद्यालय के ही साहित्य विभाग की सहायकाचार्य ड़क कंचन तिवारी ने कहा कि उद्देश्य, लक्षण एवं परीक्षा इन तीन चरणों से गुजरकर सिद्घांत सही या गलत होता है।ाषिराज पोपट नामक छात्र ने सम्पूर्ण विचार को न समझकर खुद की बुद्घि में जितना समझ आया उतने के आधार पर सिद्घान्त मान लिया कहा कि छात्र का यह शोध कार्य, गलत निर्देशन में किया गया है।
भगवान दास संस्त महाविद्यालय के ही व्याकरण विभाग के प्राध्यापक ड़ दीपक कोठारी ने कहा कि हम सभी यह मांग करते हैं किाषिराज पोपट का शोधप्रबन्ध को निरस्त कर, इसके आधार पर दी गयी उपाधि को भी वापस लिया जाए।

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