कोटद्वार-पौड़ी

भू-कानून लागू करने की मांग को यूकेडी ने किया प्रदर्शन, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तराखण्ड में भू-कानून को लागू करने की मांग को लेकर सोशल मीडिया सहित धरातल पर भी आंदोलन तेज हो गया है। राज्य की जनता प्रदेश हित में इस कानून को लागू करने की मांग कर रही है। उत्तराखंड कांति दल ने हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उत्तराखंड कांति दल कई वर्षों से सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर संघर्ष करती आ रही है। इस संबंध में उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
पदमपुर सुखरौ स्थित कार्यालय में सोमवार को कार्यकर्ताओं ने धरना देकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि वर्तमान भू-कानून के चलते राज्य के मूल निवासी यहां के प्राकृतिक संसाधनों से भी दूर हो गए हैं। भू-माफियाओं ने तो यहां के जंगल, कृषि और नजूल भूमि पर कब्जा कर लिया है। इसे तत्काल रोके जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2005-06 में तिवारी सरकार के दौरान यूकेडी के विधायकों के दबाव में बाहरी व्यक्तियों के लिए राज्य में जमीन की खरीद की सीमा को 500 वर्ग मीटर किया गया, उसके बाद 2007 में खण्डूरी सरकार में शामिल दिवाकर भट्ट द्वारा इस कानून को सशक्त करते हुए जमीन खरीद की सीमा को एक परिवार के लिए 250 वर्ग मीटर कर दिया गया। लेकिन 2018 में भाजपा सरकार द्वारा इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया और जिलाधिकारियों को अधिकार दे दिये गए। उन्होंने कहा कि राज्य में अनुच्छेद-371 लागू करना आवश्यक हो गया है, ताकि दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा की जा रही जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लग सके। प्रदेश में भू-कानून लागू होने से जहां एक ओर प्रदेश की जनता को फायदा होगा वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में पर्यटन के द्वार खुलेंगे, जिससे रोजगार भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो सकेगा।
यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री महेंद्र सिंह रावत ने सरकार मूल निवास पर स्पष्ट नीति बनाये। 1980 से पूर्व जो उत्तराखण्ड के निवासी है उन्हें मूल निवासी घोषित कर प्रमाण पत्र जारी किये जाये। प्रदर्शन करने वालों में यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री महेंद्र सिंह रावत, जिलाध्यक्ष पंकज उनियाल, महानगर अध्यक्ष गुलाब सिंह रावत, विनय भट्ट, शिवानंद लखेड़ा, सुधीर कुमार, प्रवीन नेगी, संजू, सुभाष कश्यप, शशि जदली, दुर्गा काला, हरीश मोहन, देवी सिंह, कुलदीप उनियाल, मनोहर सिंह नेगी, रमेश चंद्र जदली, राकेश मोहन काला आदि शामिल रहे।

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