उत्तराखंड राज्य के 78000 कार्मिकों के साथ अन्याय का विरोध है काला दिवस
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा है कि 1 जनवरी को राज्य के 78000 एनपीएस कर्मचारियों के साथ किये गए अन्याय का विरोध है। 1 जनवरी 2004 को पुरानी पेंशन व्यवस्था बंद किये जाने के कारण इस दिन को कर्मचारियों द्वारा काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
देश के 66 लाख कर्मचारियों में से राज्य के 78000 अधिकारी, शिक्षक कर्मचारी एनपीएस के दंश को झेल रहे हैं। पूरे देश में कर्मचारियों द्वारा एनपीएस योजना का विरोध किया जा रहा है। रविवार को प्रदेश कोर कमेटी की ऑनलाइन बैठक में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में 1 जनवरी को काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि कर्मचारी सरकार के साथ प्रत्येक निर्णय पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अपने जीवन के स्वर्णिम वर्ष वह देश के विकास में योगदान करते हुए बिताता है। देश को आयकर से लेकर आपदा में प्रत्येक स्थिति में समर्थन देता है। परन्तु उसकी सेवानिवृति के बाद आज कर्मचारी भीख मांगने को मजबूर है। प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भरता का नारा दिया परन्तु बुढ़ापे में जब हाथ पैर किसी काम के न हो और जेब खाली हो तो किस प्रकार आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को पूर्ण किया जाय। इसलिए सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देकर पुरानी पेंशन योजना को को बहाल करें।
प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि देश में कोरोना की महामारी से कई कर्मचारी अपनी जान गंवा रहे हैं और सरकार के पास उसके आंकड़े तक नहीं है। देश में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र मिलाकर 4 करोड़ से ज्यादा एनपीएस कार्मिक हैं जिनमें से मात्र 60 लाख ही सार्वजनिक क्षेत्र से है। ये मांग मात्र सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की है, जिसमें कर्मचारी, शिक्षक, रेलवे, पैरामिलिट्री के सेवक शामिल हैं। जिनका 4 से 6 लाख करोड़ रुपया शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। जिसमें सेवानिवृत्त होने के बाद 1000 रुपये से भी कम मासिक पेंशन प्राप्त हो रही है। शेयर मार्केट के पैसे सरकार देश के आर्थिक विकास में उपयोग कर कार्मिकों को उनके ससम्मान जीवन का हक देकर पुरानी पेंशन को लागू कर सकती है। बैठक में मिलिन्द बिष्ट, देवेंद्र बिष्ट, प्रवीण भट्ट, योगिता पंत, कपिल पांडे, जयदीप रावत, नरेश भट्ट, सौरभ नौटियाल, कमलेश मिश्रा, सुमन पांडेय, जसपाल रावत, राजपाल बिष्ट, मंगल नेगी, भवान सिंह नेगी, पूरन फस्र्वाण, सतीश कुमार, मुरली भट्ट, गुरदेव रावत, हिमांशु जगूड़ी, डॉ. नवीन सैनी, डॉ. डीएस नेगी, राकेश रावत, महेश गिरी, मनोज भंडारी, डॉ. योगेश रोहाली, सोहन नेगी आदि मौजूद थे।