कोटद्वार-पौड़ी

योजनाएं बंद, बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

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प्रखंड पोखड़ा के अंतर्गत तीन से अधिक गांव में बनी है समस्या
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: प्रखंड पोखड़ा के अंतर्गत ग्रामसभा खैड़गांव के ग्राम खैड़गांव, ढुंगा व माल्द छोटा गांवों की तीन सौ से अधिक आबादी पिछले कई वर्षों से बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। खैड़गांव व माल्द छोटा जहां चौबट्टाखाल पंपिंग पेयजल योजना से लाभांवित अंतिम गांव हैं, वहीं ग्राम ढुंगा के लिए करीब बीस वर्ष पूर्व स्वजल की ओर से एकल ग्राम योजना बनाई गई थी। जो कि वर्तमान में पूरी तरह बंद है। ग्रामीण एक किलोमीटर दूर प्राकृतिक स्रोत से पानी लाने को विवश हैं।
ग्रामसभा खैड़गांव के अंतर्गत आने वाले तीनों गांवों की निगाहें केंद्र की ओर से संचालित जल जीवन मिशन पर टिकी हुई हैं। ग्रामीणों को अपने घरों तक पानी की लाइनें पहुंचने का इंतजार है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि घर तक लाइन आएगी तो शायद गांव में पानी भी आ जाएगा। दरअसल, इन तीनों गांवों के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक पेयजल स्रोतों के भरोसे ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। ग्राम प्रधान वेदप्रकाश मुंडेपी बताते हैं कि खैड़गांव व माल्द छोटा चौबट्टाखाल पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हैं। बताया कि दोनों गांव योजना के अंतिम गांव हैं, जिस कारण दोनों की गांवों में पर्याप्त पानी नहीं पहुंचता। बताया कि पूरे दिन में करीब एक घंटे पानी आता है। लेकिन, इस एक घंटे में एक-दो बर्तन ही भर पाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों के समक्ष प्राकृतिक पेयजल स्रोतों की दौड़ लगाना ही एकमात्र उपाय है। ग्राम प्रधान ने बताया कि राजस्व ग्राम ढुंगा के लिए करीब बीस वर्ष पूर्व पेयजल योजना बनी थी। लेकिन, रखरखाव के अभाव में योजना की स्थिति बिगड़ गई। वक्त के साथ योजना का पेयजल स्रोत भी सूख गया। नतीजा, ग्रामीणों के समक्ष पेयजल संकट हो गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में ग्रामीण जंगल के बीच से पेयजल स्रोत तक पहुंचते हैं, जिसमें जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है।

मामला जानकारी में है। ग्रामसभा खैड़गांव को जल जीवन मिशन में शामिल किया गया है। मिशन के तहत ग्रामसभा में पेयजल मुहैया करवाया जाएगा। …एसके राय, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान, पौड़ी

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