उत्तराखंड

खनन में घोटाले का आरोप लगा सीबीआई जांच की मांग

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रदेश में खनन मामले में हजारों करोड़ के घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार व सीबीआई को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।
मामले के अनुसार हल्द्वानी के रविशंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि तत्कालीन सरकार की गलत खनन नीतियों के कारण प्रदेश के राजकोष को हजारों करोड़ राजस्व का नुकसान हो रहा है। अक्तूबर 2021 में तत्कालीन राज्य सरकार ने राज्य की खनन नीति में एक बड़ा संशोधन करते हुए निजी नाप भूमि में समतलीकरण, रीसाइक्लिंग टैंक, मत्स्य तालाब निर्माण आदि खनन कार्यों को श्खननश् की परिभाषा से बाहर कर दिया था। इन गतिविधियों पर पर्यावरण अनुमति की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया और जेसीबी जैसी भारी मशीनों के प्रयोग की खुली टूट दे दी गई। इस नीति के अंतर्गत निकाली जाने वाली खनन सामग्री को विक्रय करने पर रयल्टी की दर लगभग 70 रुपये प्रति टन निर्धारित की गई। जबकि राज्य में अन्य स्रोतों से निकलने की खनन सामग्री को विक्रय करने पर रयल्टी की दर 506 रुपये प्रति टन थी। इस संशोधन को हाईकोर्ट ने गलत मानते हुए सितंबर 2022 को इसे निरस्त कर दिया था।
जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि राज्य को नैनीताल जिले से ही कुल 419 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व का नुकसान हुआ है। इसी तरह हरिद्वार जिले में करीब 91 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। ऐसे में इस संशोधन से पूरे प्रदेश को 1500 से 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व से हाथ धोना पड़ा है। राजस्व नुकसान के रूप में यह एक बड़ा घोटाला है। इस मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच राज्य की जांच एजेंसी से कराया जाना संभव नहीं है। इसलिए जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई की ओर से इस मामले की जांच कराई जाए। दोषी नेताओं व अधिकारियों से इस नुकसान की भरपाई की जाए।

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