बिग ब्रेकिंग

भू-कानून सुधार समिति की रिपोर्ट पर कांग्रेस हुई भाजपा पर हावी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून। भू-कानून सुधार समिति की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया की है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक स्वर में कहा कि समिति की सिफारिशें भू-सुधार की बजाय भूमि की खरीद-फरोख्त सरकार के चहेते उद्योगपतियों एवं बडे लोगों तक सीमित करने जैसी हैं।
आर्य ने सरकार पिछले चार साल में जमीन की खरोदफरोख्त का ब्योरा भी सार्वजनिक करने की मांग की है। केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत ने भी कहा कि भू कानून समिति को लेकर सरकार ने जो जो दावे किए थे, वो हवाई साबित हुए हैं। यदि इस समिति की सिफारिशें मान ली गई तो उत्तराखंड में जमीनें खरीदना ओर भी आसान हो जाएगा। ये सिफारिशें भू-सुधार की बजाय भूमि की खरीद-फरोख्त सरकार के चहेते उद्योगपतियों एवं बडे लोगों तक सीमित करने जैसी हैं। सरकार की अपने चहेते उद्योगपतियों और बडे लोगों को भूमि खरीद की अनुमति जिला प्रशासन के स्थान पर शासन स्तर पर कर राज्य को गुमराह करने की कोशिश है। सरकार आज तक राज्य में लगे उद्योगों में बड़े पदों पर तो दूर समूह ‘ग’ व समूह ‘घ’ के पदों पर भी स्थानीय निवासियों को 70 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित नही कर पाई है।
इस समिति की सिफारिश पर जमीन पाने वाले लोगों के उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को 70 फीसदी रोजगार देने का दावा कैसे किया जा रहा है? भूमि खरीद के बाद भूमि का सदुपयोग करने के लिए दो वर्ष की अवधि को तीन साल करने की सिफारिश चहेते उद्योगपतियों को की मित्र करना भर है।- करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष-कांग्रेस
भू-कानून सुधार समिति की रिपोर्ट केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए है। वर्ष 2018 से चार साल तक सरकार ने औद्योगिकीकरण, षि वानिकी के नाम पर अपने चहेतों को अरबों रुपये की जमीने खरीदने की मंजूरी दी है। पारदर्शिता का दावा करने वाली सरकार को इस अवधि में दी गई जमीनों को ब्योरा सार्वजनिक करना चाहिए। सरकार बताए, पिछले चार साल म में किन लोगों को और कितनी जमीनें दी गई हैं? जिन लोगों की उत्तराखंड की बहुमूल्य जमीनें दी गई उससे राज्य में कितना निवेश आया? इन जमीनों पर हुए निवेश से उत्तराखंड के कितने लोगों को रोजगार मिला? क्या हिमाचल के टेनेसी एक्ट के समान सख्त प्रावधान करने की सिफारिश भी की गई है ? किस धर्म और संप्रदायों को कहां कहां कितनी जमीन दी गई है? – यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष।
भू कानून पर सरकार को 2018 से पहले वाली स्थिति बहाल करने चाहिए। केवल उच्च कोटि के तकनीकी संस्थान सहित मेडिकल ,केंद्र सरकार ,राज्य सरकार की संस्थाओं को ही टूट दी जानी चाहिए। जड़ीबूटियों की खेती, पर्यटन के नाम पर भी गाँव के गाँव बाहरी लोगों ने खघ्रीद लिए हैं। इससे स्थानीय लोगों के सामने सामाजिक ,सांस्तिक पहचान का संकट भी खड़ा हो गया है। हालत इतने गंभीर हो गए हैं कि भावी पीढ़ी को पुश्तैनी भूमि से भी वंचित होना पड़ेगा। हमारी खेती व भूमि पर बहुत गम्भीर खघ्तरा मँडरा रहा है । यदि इसका हल हमने नही निकाला तो इतिहास हमें माफ नही करेगा ।सरकार को इस दिशा में सतर्क हो कर पहल करनी चाहिए ।भावी पीड़ी के पुश्तैनी अधिकारों को सुरक्षित रखना हमारा नैतिक जिम्मेदारी है । -हरीश रावत, पूर्व सीएम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!