कोरोना काल में कई राज्यों में बगैर प्रश्नकाल के आयोजित हुआ विधानसभा सत्र, फिर संसद में कराने की जिद क्यों?
नई दिल्ली , एजेंसी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल संसद के मानसून सत्र में प्रश्न काल आयोजित करने के लिए अड़े हुए हैं, जबकि कोरोना काल के दौरान कई राज्यों में विधानसभा सत्र बगैर प्रश्न काल के आयोजित हुआ है। इस दौरान आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में विधानसभा सत्र आयोजित हुआ। ये सभी विधानसभा सत्र बिना प्रश्न काल के आयोजित हुए। इनमें से सबसे बाद में बंगाल में प्रश्न काल के बगैर विधानसभा सत्र आयोजित किया गया और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन संसद में प्रश्नकाल आयोजित न होने को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं। मार्च के बाद से एक से तीन दिन के लिए आंध्र प्रदेश (16-28 जून), केरल (24 अगस्त), पंजाब (28 अगस्त) राजस्थान (14 से 21 अगस्त के बीच तीन बार सदन की कार्यवाही) और उत्तर प्रदेश में (20-22 अगस्त) विधानसभा सत्र बुलाया गया। इस दौरान एक विधानसभा में एक दिन में एक दर्जन से अधिक बिल पारित हुए। सरकारी सूत्रों के अनुसार बगैर प्रश्नकाल के महाराष्ट्र सरकार भी जल्द ही विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी में है।
शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा
प्रश्न काल नहीं होने पर लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि यह बदलाव केवल मानसून सत्र के लिए है और शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा। एक या दो दिनों के लिए प्रश्नकाल होना 18 दिनों तक लगातार होने से बिलकुल अलग है। सचिवालय ने स्पष्ट किया कि कोरोना काल में शारीरिक दूरी की आवश्यकता के मद्देनजर संसद की गैलेरी में भीड़ से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसने आगे कहा कि सरकार हर हफ्ते 1,120 सवालों के जवाब देगी। शून्यकाल के दौरान, सांसद 10 दिनों की अग्रिम सूचना के बिना बड़े महत्व के मामलों को उठा सकते हैं।
शून्यकाल की अवधि 30 मिनट रखने का अनुरोध
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति एम़ वेंकैया नायडू से शून्यकाल की अवधि 30 मिनट रखने का अनुरोध किया है। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल प्रश्नकाल और शून्यकाल पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि अर्जुन राम मेघवाल, वी मुरलीधरन और मैंने इस बारे में हर पार्टी से बात की थी और टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन को छोड़कर, हर कोई इससे सहमत था।
कई बार प्रश्नकाल विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ चुका है
विपक्षी दल भले ही प्रश्न काल को लेकर सवाल उठा रहा है, लेकिन ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रश्नकाल विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। साल 2018 में लोकसभा में शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान महज 27 फीसद और बजट सत्र में केवल11 फीसद काम हुआ। इसके अलावा 2013 के शीतकालीन सत्र में 2 फीसद और 2012 के मानसून सत्र में महज 6 फीसद काम हुआ। ऐसे मौके भी आए हैं जब राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जीरो फीसद काम हुआ। ऐसा फरवरी 2019 में बजट सत्र और 2016 के शीतकालीन सत्र के दौरान हुआ।