उत्तराखंड

पांच साल में राज्य की मांग से दोगुना होगा बिजली का उत्पादन : धामी

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देहरादून। उत्तराखंड में पांच साल के भीतर बिजली का उत्पादन तय मांग का दोगुना होगा। रविवार को सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में बिजली उत्पादन को लेकर सभी विकल्पों पर मजबूती के साथ काम किया जा रहा है। सीएम आवास में रविवार को पिटकुल की ओर से उत्तराखंड शासन को लाभांश के रूप में 11 करोड़ की धनराशि का चेक प्रदान किया गया। एमडी पिटकुल पीसी ध्यानी की ओर से सीएम धामी को लाभांश का चेक सौंपा गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने को विद्युत निगमों को पूरी सक्रियता से सहयोगी बनना होगा। राज्य स्थापना की मूल संकल्पना में उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाना था। इसके लिए ऊर्जा और वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से लगातार काम किए जा रहे हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि अगले पांच सालों में उत्तराखंड में राज्य की मांग के हिसाब से ऊर्जा का उत्पादन हो। ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाते हुए बिजली उत्पादन को दोगुना किया जाएगा। सीएम ने पिटकुल के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सितम्बर 2024 में पिटकुल के जिन पांच नए सब स्टेशनों का शिलान्यास किया गया, उनके कार्यों में तेजी लाई जाए। इस अवसर पर अपर सचिव मनमोहन मैनाली, एमडी पिटकुल पीसी ध्यानी, निदेशक पिटकुल जीएस बुधियाल, कंपनी सचिव अरूण सब्बरवाल, मनोज कुमार, शालू जैन, पंकज कुमार मौजूद रहे।
एक साल में पिटकुल का मुनाफा 114 करोड़ बढ़ा
एमडी पिटकुल पीसी ध्यानी ने बताया कि सीएम के मार्गदर्शन में पिटकुल ने वर्ष 2022-2023 में 26.99 करोड़ लाभ कमाया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 141.67 करोड़ का लाभ कमाया। पिटकुल तीन सालों से शासन को हर साल पांच करोड़ का लाभांश देता था। इस साल लाभांश बढ़ा कर 11 करोड़ दिया गया। पिटकुल की ट्रांसमिशन उपलब्धता भी 99.70 प्रतिशत है। जो निर्धारित राष्ट्रीय मानकों 98 प्रतिशत से अधिक है। इससे पिटकुल की प्रोत्साहन धनराशि में इजाफा हुआ है। इस लाभ का एक तिहाई भाग, विद्युत टैरिफ में छूट के रूप में सीधे दिया जा रहा है। जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है।
बिजली की मांग, उपलब्धता में बड़ा अंतर
राज्य की मौजूदा समय में बिजली की मांग 2600 मेगावाट है। जबकि अपने स्रोतों से उपलब्धता बामुश्किल 1000 मेगावाट है। सर्दियों में ये उपलब्धता और घट जाती है। मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाने को हाइड्रो, सोलर, थर्मल, जियो थर्मल समेत सभी अन्य विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है।

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