कोटद्वार-पौड़ी

बहुचर्चित अधिवक्ता सुशील रघवंशी हत्याकांड: साक्ष्यों के अभाव में आरोपी हुए दोषमुक्त

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13 सितंबर 2017 को बीईएल रोड स्थित घर के समीप गोली मारकर की गई थी अधिवक्ता की हत्या
मामले में सात लोगों को बनाया गया था आरोपी, साक्ष्यों के अभाव में न्यायालय ने किया सभी को दोषमुक्त
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : बहुचर्चित वकील सुशील रघुवंशी हत्याकांड में शुक्रवार को न्यायालय की ओर से अपना फैसला सुनाया गया। पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में न्यायालय ने मामले में आरोपी बनाए गए प्रापर्टी डीलर विनोद कुमार गर्ग उर्फ विनोद लाला सहित सभी लोगों को दोषमुक्त कर दिया है। फैसला अपर सत्र एवं जिला न्यायाधीश की अदालत की ओर से सुनाया गया था।
13 सितंबर, 2017 को बीईएल रोड हरसिंहपुर निवासी वकील सुशील रघुवंशी की दो बाइक सवारों ने दिनदहाड़े उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वह घर से अपनी बाइक पर सवार होकर तहसील आने के लिए निकले थे। गंभीर रूप से घायल अधिवक्ता को उपचार के लिए राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार पहुंचाया गया था। जहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया था। लेकिन, देहरादून हायर सेंटर ले जाते समय रास्ते में ही अधिवक्ता ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद अधिवक्ता की पत्नी रेखा की ओर से पुलिस को तहरीर दी गई थी। जिसके बाद पुलिस ने हत्या सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। कुछ माह बाद पुलिस ने मामले में अलग-अलग दिन विनोद गर्ग उर्फ विनोद लाला, सर्वेश्वर प्रसाद उर्फ डब्बू, सुरेंद्र उर्फ सूरी, अमित नेगी, रूपेश त्यागी, दीपक मान व दीपक शर्मा को गिरफ्तार किया था।

बचाव पक्ष ने यह रखी दलीलें
बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुलदीप अग्रवाल ने बताया कि मामले में 23 गवाह प्रस्तुत किए गए थे। लेकिन, किसी के बयान से भी यह प्रतीत नहीं हुआ कि उनके मुवक्किल हत्याकांड में शामिल हैं। मामले में कोई भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं थे। साथ ही कोई परिस्थिति जन्य साक्ष्य भी नहीं थे। प्रदेश के अलग-अलग पुलिस अधिकारियों ने इसकी जांच भी की थी, लेकिन सभी ने अपनी केश डायरी में यही लिखा की कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। आरोपी बनाए गए सभी लोगों के मोबाइल भी खंगाले गए। लेकिन, उनके मोबाइल से भी कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिससे प्रतीत होता हो कि वह हत्या कांड में शामिल हैं। पुलिस का कहना था कि हमने जेल में बंद अपराधियों के बयान के आधार पर मुजलिमों को गिरफ्तार किया था।

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