मासूम बच्चों के भोजन में भी किया जा रहा ‘खेल’
-राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओजली में बच्चों को रोज खिलाई जा रही खिचड़ी, चावल की गुणवत्ता भी निम्न स्तर की
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : जनपद गढ़वाल में मासूम बच्चों के भोजन में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला पौड़ी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओजली में प्रकाश में आया है। जहां पिछले चार दिनों से बच्चों को सिर्फ खिचड़ी ही खिलाई जा रही है, वहीं चावल की गुणवत्ता भी निम्न स्तर की है। एक तरफ सरकार कुपोषण से लड़ाई को अभियान चला रही है, वहीं सरकारी कर्मचारी ही इस अभियान को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओजली में मिड-डे मील में किए जा रहे इस ‘खेल’ का खुलासा तब हुआ जब जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे के निर्देश पर तहसीलदार सदर सुशीला कोठियाल ने स्कूल का निरीक्षण किया। तहसीलदार सुशीला कोठियाल के अनुसार वह सोमवार को अचानक स्कूल पहुंची और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने पाया कि मिड-डे मील का रजिस्टर तक ठीक तरीके से नहीं रखा गया था। इसके अलावा मिड-डे मील के मेन्यू पर भी सिर्फ दाल-चावल लिखा हुआ था। पूछताछ में पता चला कि विद्यालय में हमेशा दाल-चावल ही बनता है। बच्चों से पूछने पर पता चला कि पिछले चार दिनों से तो उन्हें सिर्फ खिचड़ी ही खिलाई जा रही है। जबकि सरकार की योजना के तहत मिड-डे मील में सातों दिन अलग-अलग पौष्टिक भोजन की व्यवस्था है। इसके लिए सरकार की ओर से विशेष बजट दिया जाता है। तहसीलदार ने जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई और व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए। साथ ही मिड-डे मील की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है।
पोस्ट मास्टर साहब चला रहे राशन की दुकान
राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओजली के निकट ही सरकारी सस्ता गल्ला की दुकान है। लंबे समय से यहां के ग्रामीण दुकान को लेकर प्रशासन से शिकायत कर रहे थे। जिसका संज्ञान लेते हुए तहसीलदार सुशीला कोठियाल ने दुकान का निरीक्षण किया। वहां पाया कि पोस्ट मास्टर साहब ही राशन की दुकान भी चला रहे हैं। दोनों जगह एक साथ समय न दे पाने के कारण अधिकांश दुकान बंद ही रहती है। तहसीलदार ने बताया कि निरीक्षण के दौरान भी दुकान पर कोई नहीं था। बाद में जब पोस्ट मास्टर साहब को निरीक्षण की जानकारी मिली तो वह मौके पर पहुंचे। तहसीलदार ने बताया कि राशन डीलर द्वारा मिड-डे मील का माह जून, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर का राशन ही नहीं उठाया गया। पंजिका ठीक से ना तो बनाई गई और ना ही उसमें सही तरह से आख्या दर्ज की जा रही है। तहसीलदार संबंधित राशन डीलर की रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को भेज रही हैं।