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गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़े-कचरे की वजह से बनी झील पर अगली सुनवाई 3सप्ताह बाद

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नैनीताल। गंगोत्री ग्लेशियर में बढ़ते कचरे व इसकी वजह से बनी झील के मामले में अवमानना याचिका पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत कर दी। इस मामले में कोर्ट के एक फैसले में आपदा प्रबंधन सचिव के खिलाफ तल्ख टिप्पणी से संंबंधित आदेश को वापस लेने के लिए सरकार रिकॉल एप्लीकेशन फाइल करने की तैयारी में है। दिल्ली निवासी अजय गौतम ने 2017 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़े-कचरे की वजह से पानी ब्लॉक होने से कृत्रिम झील बन गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस मामले में सरकार ने पहले जवाब में माना था कि झील बनी है, जबकि बाद में हेलीकॉप्टर से किए सर्वे का हवाला देते हुए कहा था कि झील नहीं बनी है। 2018 में कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए सरकार को तीन माह में इसकी मॉनिटरिंग करने व छह माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए मगर सरकार ने कुछ नहीं किया। ऐसे में कोर्ट ने मामले का स्वतº संज्ञान लेते हुए आदेश का अनुपालन नहीं करने पर तल्ख टिप्पणी की थी कि सचिव आपदा प्रबंधन पद एवं सरकारी नौकरी के योग्य नहीं हैं। शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में सचिव आपदा प्रबंधन मुरुगेशन व दो माह तक आपदा प्रबंधन सचिव का अतिरिक्त कार्यभार देख चुके सचिव शैलेश बगौली पेश हुए। सरकार की ओर से सीएससी चंद्रशेखर रावत ने इस मामले में जवाब के लिए समय मांगा। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत कर दी। पूर्व में सरकार कोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश कर चुकी है। रिपोर्ट में आपदा प्रबंधन न्यूनीकरण केन्द्र के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला के निलंबन व तीन अन्य सेक्शन अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने का उल्लेख किया था।

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