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खाड़ी देशों की नाराजगी दूर करने में जुटा भारत, पाकिस्तान और ओआइसी को सुनाई खरी-खरी

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नई दिल्ली। भाजपा से निलंबित नुपुर शर्मा की नफरती धार्मिक टिप्पणियों को लेकर खाड़ी के कई देशों ने भारत सरकार के समक्ष अपनी नाराजगी जाहिर की है। रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कतर, कुवैत, ईरान, सऊदी अरब और बहरीन जैसे देशों की नाराजगी को भारत दूर करने की हरसंभव कूटनीतिक कोशिश कर रहा है। लेकिन इस विवाद की आड़ में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर दुष्प्रचार की कोशिशों में जुटे इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी और इसके प्रमुख सदस्य पाकिस्तान को सरकार ने करारा जवाब भी दिया है। भारत ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर उसे पाकिस्तान व ओआइसी से सीखने की जरूरत नहीं। पाकिस्तान को खास तौर पर भारत ने झाड़ लगाई है कि वह प्रोपगंडा करने की जगह अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधारने पर ध्यान दे।
रविवार को कतर, कुवैत, ईरान ने अपने यहां भारतीय राजनयिकों को समन कर अपने देश की नाराजगी से अवगत कराया था। इसके बाद सऊदी अरब, बहरीन ने तल्ख टिप्पणी जारी कर अपनी नाराजगी जताई। मुस्लिम देशों का अगुवा बनने की कोशिश में जुटे पाकिस्तान ने तो पहले भारतीय उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया और उसके बाद पीएम शाहबाज शरीफ ने भी भारत के राजनीतिक नेताओं की टिप्पणियों के सहारे भारत पर निशाना साधा। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी इसी तरह का बयान जारी किया। इस बीच इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी ने भी इस पूरे मुद्दे व अल्पसंख्यकों की भारत में स्थिति का मुद्दा उठाते हुए मामले को हवा दी।
पाकिस्तान की तरफ से जारी बयान और सोशल मीडिया पर पाक के सरकारी पदों पर बैठे लोगों की तरफ से जारी बयान पर भारत ने कहा कि अपने देश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हमेशा से उल्लंघन करने वाले देश की तरफ से दूसरे देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर बयान देना किसी के भी समझ से परे है। पूरी दुनिया देख रही है कि किस तरह से पाकिस्तान में हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और अहमदिया लोगों का उत्पीड़न हो रहा है। भारत सरकार हर धर्म को एक समान सम्मान देती है। इसके उलट पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता फैलाने वालों के सम्मान में स्मारक बनाए जाते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान दूसरे देश में धार्मिक उन्माद फैलाने की बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधारने पर ध्यान देगा।
इसी तरह से ओआइसी की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत सरकार ओआइसी की अनुचित और संकीर्ण सोच वाली टिप्पणी को सिरे से खारिज करती है। जिन टिप्पणियों का जिक्र किया गया है वह व्यक्तिगत स्तर पर किया गया है और वह भारत सरकार का किसी भी तरह से विचार नहीं है। इन व्यक्तियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जा रही है। यह दुर्भाग्य की बात है कि ओआइसी सचिवालय कुछ स्वार्थी तत्वों के जरिए विभेदकारी एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है। हम ओआइसी से आग्रह करते हैं कि वो सभी धर्मों को एक समान आदर दे।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिन देशों ने भारत सरकार के समक्ष अपनी बात रखी है, उनका ही जवाब दिया जा रहा है। कुछ देशों की तरफ से पार्टी विशेष का नाम लेकर उनकी प्रवक्ताओं की टिप्पणियों कीोनदा की है, इस बारे में विदेश मंत्रालय कुछ नहीं कर सकता। अच्छी बात यह है कि इस मामले में पार्टी विशेष ने जो फैसला किया है, उसका सभी ने स्वागत किया है। ओआइसी की टिप्पणी भारत के लिए कोई ज्यादाोचता की बात नहीं है क्योंकि यह संगठन पाकिस्तान के इशारे पर कई बार इस तरह का काम कर चुका है। यही वजह है कि हाल के महीनों में यह कभी कश्मीर पर तो कभी यासीन मलिक को सजा देने पर टिप्पणी करता रहा है जिसका भारत माकूल जवाब देता रहा है।

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