कोटद्वार-पौड़ी

योग से उत्तम चरित्र और आदर्श समाज की कल्पना संभव

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
विद्या भारती उत्तराखंड के पांच दिवसीय प्रांतीय आभासी आचार्य योग प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न हो गया है। इस अवसर पर विद्या भारती पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संगठन मंत्री डोमेश्वर शाहू ने कहा कि उत्तम चरित्र और आदर्श समाज की स्थापना में अष्टांग योग महत्वपूर्ण है। शरीर, मन, बुद्धि के विकास में अष्टांग योग प्रमुख आधार है। उत्तराखंड योग के लिए विशेष रुप से जाना जाता है। किसी कार्य को करने से पहले मनुष्य का स्वस्थ होना आवश्यक है, स्वस्थ जीवन के लिए योग का महत्वपूर्ण स्थान है। योग के द्वारा ही उत्तम चरित्र और आदर्श समाज की कल्पना सम्भव है।
कोरोना काल के प्रतिबंधों के मध्य विद्या भारती उत्तराखंड के द्वारा आयोजित प्रांतीय योग शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न हो गया है। उत्तराखंड विद्या भारती के प्रांतीय योग शिक्षा प्रमुख कुंज विहारी भट्ट के कुशल मार्गदर्शन में पांच दिवसीय आभासी योग आचार्य प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया। समापन सत्र में विद्या भारती पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संगठन मंत्री डोमेश्वर शाहू ने प्रदेश भर के योग प्रशिक्षुओं को आभासी (ऑन लाईन) संबोधित करते हुए कहा कि अष्टांग योग विकास की सीढ़ियां हैं, इनके ठीक प्रकार से अध्ययन के उपरान्त ही अभ्यास करना चाहिए। आज योग प्रदर्शन का विषय बनकर रह गया है, आज योग को दर्शन की ओर ले जाना है। उन्होंने कहा कि योग एक विज्ञान है जो शरीर को स्फूर्ति, मस्तिष्क को शांत और आत्मा को परिष्कृत करता है। योग प्राचीन भारतीय अभ्यास है, जो कि सम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है। योग को अगर समग्र पैकेज के रूप में देखें तो शारीरिक गतिविधियों के विपरीत मनुष्य के शरीर को अंदर-बाहर से साफ रखने से योग सहायता प्रदान करता है। जिसे हम प्राणायाम कहते हैं। केवल वहीं व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अंतर को समझ सकता है, जो योग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाता है। यम, नियम, आसन, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा समाधि ये अष्टांग योग शरीर, मन, बुद्धि के विकास में अत्यधिक सहायक है।
आभासी योग शिविर का संचालन करते हुए कुंज विहारी भट्ट ने बताया कि इस पांच दिवसीय योग प्रशिक्षण वर्ग में उत्तराखंड के 100 प्रशिक्षार्थियों (90 पुरुष एवं 10 महिलाओं) ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसमें नियमित योग, सूर्यनमस्कार, प्राणायाम, आसन सहित विभिन्न मुद्राओं का नियमित रूप से योग प्रशिक्षुओं को अभ्यास करवाया गया। इनके निरन्तर अभ्यास से शरीर आकर्षक, सुडौल एवं मजबूत होता है वहीं ये सूक्ष्म-व्यायाम विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बहुत ही सरल एवं विशेष लाभ प्रदान कराने वाला व्यायाम है।

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