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कोटद्वार की खोह नदी में रिवर टे्रनिंग के नाम पर बने तालाब में डूबे दो मासूम, मौत, आगाह करने के बावजूद न खननकारी चेते न प्रशासन

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार में नदियों में आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए हो रहे रीवर टे्रनिंग के नाम पर मानकों के विपरीत हुए खनन से बनें तालाब स्थानीय निवासियों के लिए मौत के कुएं साबित हो रहे है। इसी तरह खोह नदी पर बने गहरे तालाब में डूबने से दो मासूम भाईयों की मौत हो गई। दोनों मासूम चचेरे भाई है। पुलिस ने दोनों के शवों को कब्जे में ले लिया है। खोह नदी में खनन कारियों द्वारा गहरे-गहरे गड्ढे खोदे गये है। गड्ढ़ों में पानी भरने से पता ही नहीं लग पा रहा है कि नदी में कहां पर गड्ढे है और कहां पर नहीं है। बता दें कि किसी भी नदी से उपखनिज निकालकर या तटबंध निर्माण समेत अन्य कदम उठाकर नदी को प्राकृतिक स्वरूप में रहने देने को ही रिवर ट्रेनिंग कहा जाता है।

कुष्ठ आश्रम काशीरामपुर तल्ला निवासी फुरकान ने बताया कि उनका छ: वर्षीय बेटा अरसद और एहसान का 7 वर्षीय बेटा गुलशेर दोपहर करीब दो बजे खाना खाने के बाद घर के आसपास खेल रहे थे। दोनों जब काफी देर तक घर नहीं आये तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की। काफी खोजबीन करने के बाद भी दोनों ने नहीं मिले। बच्चों को ढूढ़ते हुए परिजन खोह नदी में पहुंचे, लेकिन काफी देर तक खोजबीन करने पर भी वह नहीं मिले। इसी दौरान नदी में नहा रहे लोगों ने बताया कि बच्चे गड्ढ़े में फंसे हुए है। फुरकान ने बताया कि उनके पड़ोसी रवि ने गड्ढ़े में छंलाग लगाकर दोनों बच्चों को बाहर निकाला। आनन-फानन में परिजन दोनों बच्चों को लेकर राजकीय बेस अस्पताल कोटद्वार आये। जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलते ही एसएसआई प्रदीप नेगी, बाजार पुलिस चौकी प्रभारी कमलेश शर्मा, उपनिरीक्षक सतेन्द्र भंडारी, महिला उपनिरीक्षक पूनम शाह, भावना भट्ट पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। एसएसआई प्रदीप नेगी ने बताया कि कुष्ठ आश्रम काशीरामपुर तल्ला निवासी अरशद और गुलशेर दोपहर दो बजे के लगभग खोह नदी में नहाने गये थे। इस दौरान नदी में नहाते हुए दोनों डूब गये। परिजनों द्वारा बच्चों को नदी से बाहर निकालकर बेस अस्पताल लाया गया। जहां चिकित्सकों ने बच्चों को मृत घोषित कर दिया। एएसएसआई ने बताया कि शवों का पंचायत नामा भरकर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है।

ज्ञात हो कि शासन ने खोह, सुखरो नदी समेत सिगड्डी स्रोत, ग्वालगढ़, सिगड्डी गदेरे में पट्टा देकर खनन करने की अनुमति दी थी। खनन करने की अनुमति 30 जून तक दी गई थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण खनन कार्य नहीं हो पाया था। जिस पर शासन के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन ने 15 जुलाई तक खनन करने की अनुमति पट्टा धारकों को दी गई। पट्टा धारकों ने मशीनों से खोह, सुखरो और ग्वालगढ़, सिगड्डी गदेरे में गहरे-गहरे गड्ढे खोद डाले। पूर्व में स्थानीय लोगों ने स्थानीय प्रशासन से मानकों के विपरीत हो रहे खनन की शिकायत की थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। लोगों ने बरसात से पूर्व ही नदियों में खोदे गये गड्ढों के कारण अनहोनी घटना की आशंका जताई थी। पिछले दिनों बारिश होने से नदियों में खोदे गये गड्ढों में पानी भर गया। रविवार दोपहर को कुष्ठ आश्रम काशीरामपुर तल्ला निवासी दो मासूम बच्चों की इन्हीं गड्ढों ने जान ले ली।


आगाह करने के बावजूद न खननकारी चेते न प्रशासन
दैनिक जयन्त के चार जुलाई के अंक में कोटद्वार की नदियों में दिखने लगा है मानकों के विपरीत खनन का असर, खोह व सुखरो में रूका बहाव, बन रही हैं झीलें नाम शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी न खननकारी चेते और न ही प्रशासन। अगर स्थानीय प्रशासन खबर का संज्ञान लेकर खोह नदी में खननकारियों द्वारा किये गये गड्ढ़ों को भरा देता तो शायद रविवार को दो मासूम बच्चों को जान बच जाती। विगत तीन जुलाई को बारिश के बाद खोह व सुखरौ नदी में बने गड्ढ़ों में पानी जमा होने से झील बन गई थी। पानी का बहाव रूक जाने से सनेह व सुखरो क्षेत्र की हजारों की आबादी अनहोनी की आशंका से परेशान थे। खोह व सुखरो नदी में शासन की ओर से चैनलाइजेशन की अनुमति दी गई थी। स्थानीय प्रशासन ने मार्च और जून माह में उक्त नदियों में चैनलाजेशन के लिए पट्टे आवंटित किये। पट्टाधारकों ने नियमों के विपरीत नदियों को मशीनों से 15 से 20 फुट तक खोद डाला। जबकि नियमानुसार नदी को तीन मीटर तक ही खोदा जा सकता है। स्थानीय लोगों ने कई बार शासन-प्रशासन से नियमों के विपरीत हो रहे खनन की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। विगत 28 जून को राजस्व, सिंचाई व वन विभाग की संयुक्त टीम ने खोह नदी का सर्वे किया। सर्वे के दौरान प्रशासन की टीम ने खोह नदी में मानकों के विपरीत खनन की पुष्टि की थी।

 

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