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लोकसभा और राज्यसभा अध्यक्षों ने की मानसून सत्र पर चर्चा, ‘ई-संसद फॉम्र्युले’ पर भी हुई बात

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नई दिल्ली, एजेन्सी। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के मानसून सत्र के आयोजन को लेकर सोमवार को एक बैठक की। इसमें उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के कारण सामाजिक दूरी बनाए रखने और आभासी संसद (ई-संसद) की संभावना जैसे विषयों एवं विकल्पों के बारे में चर्चा की। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी।
उच्च और निचले सदन के अध्यक्षों ने इस बात को रेखांकित किया कि ऐसी स्थिति में जब नियमित बैठकें संभव नहीं हैं, तब संसद सत्र को सुगम बनाने के लिए टेक्नॉलजी को अपनाने की जरूरत है।
इसके साथ ही वेंकैया नायडू और ओम बिरला ने यह भी कहा कि आभासी बैठकें आयोजित करने के मुद्दे को दोनों सदनों की, संसद की नियमों से संबंधित समिति को विचार करने के लिए भेजा जाना जरूरी होगा क्योंकि चर्चा का गोपनीयता से संबंध होता है। सूत्रों ने कहा कि लोकसभा की बैठक राज्यसभा के साथ केंद्रीय कक्ष में आयोजित करने सहित कई विकल्पों पर विचार किया गया। इस विकल्प पर भी विचार किया गया कि दोनों सदनों की बैठक एक दिन छोड़कर आयोजित की जा सकती है।

…ताकि सही ढंग से किया जा सके पालन
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लंबी होने की संभावना संबंधी खबरों को ध्यान में रखते हुए नायडू ने अपने आधिकारिक आवास पर बैठक बुलाई, जिसमें दोनों सदनों के महासचिवों ने हिस्सा लिया। पीठासीन अधिकारियों ने महासचिवों को निर्देश दिया कि वे संसद के केंद्रीय कक्ष का उपयोग करने की बात को भी ध्यान में रखें। इससे आगामी मानसून सत्र के दौरान सामाजिक दूरी के मानदंडों का उपयुक्त तरीके से पालन किया जा सके।
अनिश्चित काल के लिए किया गया था स्थगित
इनका मानना था कि चूंकि संसद की कार्यवाही का आम लोगों के लिए सीधा प्रसारण किया जाता है, ऐसे में गोपनीयता बनाए रखने की कोई ऐसी जरूरत नहीं है। ऐसे में लंबी अवधि में आभासी संसद एक विकल्प हो सकता है। दोनों अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि दोनों सदनों का सुगम संचालन सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत तकनीकी एवं अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए। गौरतलब है कि आमतौर पर संसद का मानसून सत्र जुलाई-अगस्त में आयोजित किया जाता है। बजट सत्र 24 मार्च को कोविड-19 का संक्रमण फैलने के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को बैठक में दोनों महासचिवों ने सभापति और स्पीकर को संसद की विभिन्न समितियों की बैठक आभासी माध्यम से आयोजित करने से जुड़े विविध पहलुओं के बारे में जानकारी दी। इसमें सुरक्षित प्रौद्योगिकी प्लैटफॉर्म, ऐसी बैठकों से जुड़ी गोपनीयता और अन्य विषयों के बारे में बताया गया। बैठक में आभासी बैठकें आयोजित करने से जुड़ी आधारभूत संरचना और इसमें लगने वाले समय के बारे में भी चर्चा की गई। सूत्रों ने बताया कि नायडू और बिरला का विचार था कि आभासी बैठकें आयोजित करने के विषय को दोनों सदनों की नियमों से जुड़ी समिति को विचार के लिए भेजना जरूरी है।

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