उत्तराखंड

वन पंचायत सरपंचों की हुई बैठक, बोले -चुनाव के बाद नहीं दिया प्रशिक्षण

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बागेश्वर। बैजनाथ के स्थानीय होटल पर दं हंगर प्रोजेक्ट के तहत वन पंचायत सरपंचों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें पूर्वी अयारतोली, थापल, तेलीहाट, चनोली, चौरसों आदि के वन पंचायत सरपंचों ने भाग लिया। शनिवार को आयोजित बैठक में वन पंचायत सरपंचों ने कहा कि वन पंचायत सरपंचों को चुनाव के बाद किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। वन विभाग अनदेखी कर रहा है। पंचायतों के पास आय के साधन नहीं हैं। बजट भी नहीं मिलता है। सरपंच का पद प्रधान से भी महत्वपूर्ण है। राजस्व विभाग से जुड़ा है। सुरक्षा भी नहीं है। वनों की आग बुझाने, अवैध कटान को रोकना आदि भी वह करते हैं। उन्हें मानदेय भी नहीं मिलता है। मनरेगा से भी वन पंचायतों के लिए कार्य योजना नहीं बनती है। जबकि ग्राम पंचायत की खुली बैठक में प्रस्ताव होना चाहिए। 2013 से रायल्टी का भुगतान नहीं हो सका है। जबकि तीसरे वर्ष रायल्टी का पैसा पंचायतों का देने का नियम है। उन्होंने वन पंचायतों में नीबू, कीवी, शहतूत, अखरोट, पांगर और ईमारती लकड़ी के पौध लगाने की मांग की। ताकि पंचायतों की आय बढ़ सके। उन्होंने संगठित होकर हक-हकूक के लिए संघर्ष का एलान किया। इस दौरान राजेंद्र सिंह, देवेंद्र कुमार, मदन राम, कैलाश मेहरा, भुवन चंद्र, विजय लोहनी, कमला, देवकी, विमला, कुसुमा, चंदन, नंदन, गीता, मीना, बसंती, माधवी, बीना, जानकी, हुकुम सिंह आदि वन पंचायत सरपंच उपस्थित थे।

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