घबराहट में भारतीय अधिकारियों के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहा पाकिस्तान

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नई दिल्ली। पहलगाम में नृशंस आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर सीमा पार मीडिया चैनलों और आईएसआई से जुड़े कुछ ‘ट्रोल नेटवर्क’ ने भारतीय सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों को निशाना बनाते हुए फेक न्यूज प्रोपेगेंडा शुरू किया है। उन्होंने यह झूठा नैरेटिव गढ़ने का कुत्सित प्रयास किया है कि पहलगाम हमले में कथित चूक के लिए शीर्ष भारतीय अधिकारियों को दंडित किया गया है। हालांकि इसके बाद, भारत की ओर से इस आरोप का जोरदार खंडन किया गया है।
दुष्प्रचार कर रहा पाकिस्तान
एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान का हालिया फेक न्यूज प्रोपेगेंडा सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के संयमित, लेकिन दृढ़ रुख के सामने उसकी हताशा का प्रमाण है। पारदर्शिता, पेशेवर ईमानदारी और संवैधानिक निगरानी में दृढ़ भारतीय सशस्त्र बल इस कुत्सित प्रयास से विचलित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए भारतीय साइबर निगरानीकर्ताओं और प्रतिष्ठानों ने त्वरित तथ्य-जांच का सहारा लिया है, ताकि शीघ्र खंडन जारी किया जा सके, पाकिस्तान-आधारित पोस्ट, चैनल एवं अकाउंट्स को ब्लाक किया जा सके और सशस्त्र बलों की मिशन-तैयारी के बारे में अफवाहों को खारिज किया जा सके।
झूठ फैलाने की कोशिश विफल
कुछ पाकिस्तानी चैनलों और ट्रोल नेटवर्क ने आरोप लगाया कि रक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा को कथित चूक के बाद बर्खास्त कर दिया गया और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के काला पानी में निर्वासित कर दिया गया। जबकि, लेफ्टिनेंट जनरल राणा को अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदोन्नत किया गया था।
इसी तरह, पाकिस्तान स्थित कुछ इंटरनेट मीडिया हैंडल ने आरोप लगाया कि लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार को पहलगाम हमले से जुड़ी विफलताओं के कारण सेना की उत्तरी कमान से बाहर कर दिया गया।
जबकि, लेफ्टिनेंट जनरल कुमार चार दशकों की विशिष्ट सेवा के बाद 30 अप्रैल, 2025 को सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त हो चुके थे।कमान में बदलाव की सूचना काफी पहले ही दे दी गई थी।

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