खतरे में पाकिस्तान की सैन्य तैयारी, तोप गोले की भारी कमी

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नई दिल्ली।पाकिस्तान की फौज इस वक्त बड़े संकट का सामना कर रही है। खबर है कि वहां तोपों में इस्तेमाल होने वाले गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है। हालात इतने गंभीर हैं कि पाकिस्तान की सेना अब सिर्फ चार दिन तक ही कोई बड़ी जंग लड़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने हाल ही में यूक्रेन को भारी मात्रा में गोला-बारूद बेचा है, जिससे उसके अपने सैन्य भंडार लगभग खाली हो गए हैं। पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री, जो सेना के लिए गोला-बारूद बनाती है, पुरानी तकनीक और बढ़ती वैश्विक मांग के कारण नई सप्लाई नहीं जुटा पा रही है।
सिर्फ 96 घंटे ही जंग में टिक सकेगा पाकिस्तान
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 96 घंटे यानी चार दिन तक ही किसी बड़े युद्ध में अपनी तोपों और रॉकेट सिस्टम को चलाने के लिए गोला-बारूद बचा है। यह स्थिति उसके लिए खासतौर पर खतरनाक है क्योंकि पाकिस्तान की सैन्य नीति भारत के मुकाबले तेजी से मोर्चा संभालने पर आधारित है। इसके लिए उसे 155 मिमी के गोले और 122 मिमी के रॉकेट की जरूरत होती है, जो अब स्टॉक में नहीं हैं।
भारत से लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकता पाकिस्तान- पूर्व सेना प्रमुख
सोशल मीडिया पर भी अप्रैल 2025 में ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तान ने अपने अहम 155 मिमी के गोले यूक्रेन भेज दिए हैं, जिससे उसकी अपनी सेना के पास गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है।
बताया जा रहा है कि इस हालात ने पाकिस्तानी सेना में चिंता और कुछ हद तक घबराहट फैला दी है। 2 मई 2025 को हुई सेना के विशेष कोर कमांडरों की बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई। पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी पहले कह चुके हैं कि पाकिस्तान के पास इतने संसाधन और गोला-बारूद नहीं है कि वह भारत के साथ लंबे समय तक लड़ाई कर सके।

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गोला-बारूद बेचकर पाकिस्तान ने अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने भारत-पाक सीमा के पास नए गोला-बारूद डिपो (गोदाम) बनाए हैं ताकि जंग की स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यूक्रेन को गोला-बारूद बेचकर पाकिस्तान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। उसकी सेना अब खाली भंडार और कमजोर रक्षा के साथ खड़ी है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत भी इस संकट को और बढ़ा रही है। महंगाई चरम पर है, कर्ज बढ़ता जा रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। इसका असर सेना पर भी पड़ा है, जहां अब राशन में कटौती की जा रही है, सैन्य अभ्यास रोके जा रहे हैं और ईंधन की कमी के कारण युद्धाभ्यास स्थगित किए जा रहे हैं।

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