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सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बैंक कर्मियों ने किया प्रदर्शन

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। केन्द्र सरकार द्वारा बैंको के निजीकरण एवं श्रम कानून में संशोधन करने क विरोध में ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के केन्द्रीय नेतृत्व के आह्वान पर एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के तहत एसोसिएशन से जुड़े कोटद्वार के सभी बैंक कर्मचारी पंजाब नेशनल बैंक के सामने एकत्रित हुए। बैंक कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार की जन विरोधी एवं श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस मौके पर कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय की घोर निन्दा की। वक्ताओं ने कहा कि सरकार बैंक को चंद पूंजीपतियों के हाथों में बेचकर देश की आम जनता की बैंक में जमा मेहनत की कमाई को पूंजीपतियों के हवाले करने का काम कर रही है, जो कि देश की आम जनता के साथ सबसे बड़ा घोखा है। इससे पूर्व में भी कई निजी बैक दिवालिया हुए हैं, तब सरकार ने इन बैंकों को सरकारी बैंकों में विलय कर जनता के पैसों को सुरक्षित रखा। फिर भी सरकार चंद पूंजिपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा काम कर रही है, जो कि जनहित में सही नहीं है। उन्होंने केन्द्र सरकार से बैंकों का निजीकरण न करके बैंकों को मजबूत करने, श्रमिकों के हितों को मद्देनजर रखते हुए श्रम कानून मे संशोधन न किये जाने, बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों का बैकों का एनपीए वसूली के लिए ठोस कानून बनाने, बैंकों में जमा स्कीमों पर ब्याज दर बढ़ाने, सेवा शुल्कों में अनावश्यक वृद्धि न करने, एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना लामू करने, नियमित बैंकिंग कामों की आऊट सोर्सिंग बंद करने, बैंकों में समुचित स्टॉफ की भर्ती करने की मांग की है। इस अवसर पर उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन के जिला सचिव बीरेन्द्र सिंह रावत, यूएफवीयू संयोजक डीपीएस बिष्ट, टे्रड यूनियन समन्वय समिति के अध्यक्ष जेपी बहुखंडी, हरजीर्त ंसह, रमेश नेगी, कुलदीर्प ंसह, डीएस असवाल, सविता कोटनाला, रमन नेगी, मदर्न ंसह असवाल, मुन्नी देवी, करेश कुमार, अजय, हिमांशु काला, रोहित, अरविन्द, धर्मपार्ल ंसह, भरर्त ंसह बिष्ट, रचित रावत, राहुत, नरेन्द्र, मोहन सिंह, प्रीति, मेघा आदि उपस्थित रहे।

आर्थिक संकट से जूझ रही आशा कार्यकर्ता
कोरोना महामारी में ड्यूटी कर रहे आशा कार्यकत्रियां सरकार की बेरूखी से नाराज हैं। आशा कार्यकत्रियों को पिछले दो साल से वेतन नहीं मिल पाया है। जिस कारण उन्हें परिवार के भरण पोषण में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आशाकत्री संगठन की सचिव मीरा नेगी, कोषाध्यक्ष रंजना कोटनाला, हेमलता, सुमित्रा भट्ट, पदमा असवाल ने आशाकत्रियों की समस्याओं के बारे में बताया। आशा कार्यकत्री सुनीता रावत ने कहा कि हम लोगों से कार्य तो करवाया जा रहा है, किन्तु विगत दो वर्षों से वेतन नहीं दिया गया है। जबकि कोरोना महामारी काल में अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रही है। उन्होंने आशा कार्यकत्रियों को पिछले दो वर्ष के वेतन का भुगतान करने और पीपीई किट उपलब्ध करवाने की मांग की है।

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