सावन के दूसरे सोमवार को मंदिरों में हुई पूजा-अर्चना
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। सावन के दूसरे सोमवार को नगर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालु पहुंचे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर में सुबह छ: बजे से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। विधि-विधान के साथ लोगों ने पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने भगवान भोले नाथ के नाम का व्रत रख कर उनकी उपासना की और सुख-शांति की कामना की।
पुराना सिद्धबली मार्ग स्थित शिव मंदिर, सिद्धबली, घराट, मनकामेश्वर मंदिर कुंभीचौड़, विशनपुर स्थित शिवालय समेत अन्य स्थानीय मंदिरों व शिवालयों में सावन के दूसरे सोमवार को शिव भक्तों ने शिवालयों में भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर पुष्पजल, वेलपत्र व दूध चढ़ाकर सुख व शांति की प्रार्थना की। श्रावण मास के दूसरे सोमवार होने के कारण सुबह से ही शिवालयों समेत अन्य मंदिरों में श्रद्घालुओं की लम्बी कतारें देखी गई। मान्यता है कि सावन का महीना बहुत शुभ महीना होता है। इस पूरे माह भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जो भी इस माह में भगवान शिव की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। महादेव को सोमवार का दिन प्रिय है। सावन का महीना काफी पवित्र महीना माना जाता है। साथ ही सावन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का भी महीना होता है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। हरा रंग सौभाग्य का रंग होता है। सावन का महीना खुद को प्रकृति से जोड़ने का महीना होता है। जो हम महादेव पर जल चढ़ाते है, उसका कारण भी यही है कि जल चढ़ाकर हम खुद को प्रकृति से जोड़ रहे है। शास्त्रों के अनुसार प्रकृति को ईश्वर का रूप माना गया है। शास्त्रों में सावन मास का एक नाम नीलकंठ भी है और शिव का नाम भी नीलकंठ है इसलिए यह मास शिवजी को बहुत प्रिय है और महादेव का प्रकृति से विशेष जुड़ाव है।