सतत विकास के लक्ष्य को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला हुई सम्पन्न
चम्पावत। सतत विकास के लक्ष्य को लेकर जिला सभागार में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का मंगलवार को समापन हो गया। प्रभारी जिलाधिकारी व एडीएम टीएस मर्तोलिया की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला के अंतिम दिन विभिन्न विभागों के चार समूहों में अधिकारियों को विजन वर्ष 2030 को लक्ष्य मानकर प्लानिंग कमीशन के 17 बिंदुओं पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने वर्ष 2030 को विजन मानकर गरीबी समाप्त करने का फार्मूला समझाया। उन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं सतत कृषि को बढ़ावा देने एवं लोगों के स्वस्थ्य को बनाए रखने की भी जानकारी दी। समावेशीय एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, लैंगिग समानता एवं महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ जल, ऊर्जा की उपलब्धता, रोजगार सृजन के विषयों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया। प्रभारी जिलाधिकारी ने कर्मचारियों एवं अधिकारियों से अपने-अपने विभागों में आ रही जन समस्याओं का निस्तारण कर जिले के विकास के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने पर्यावरण से छेड़छाड़ किए बिना सतत विकास के लिए वर्ष 2030 तक स्थानीय आवश्यकतानुसार योजनाएं बनाकर उसी के अनुरूप सतत विकास के लिए कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि जनपद में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। इसके लिए सभी विभागों को आपस में मिलकर कार्य करना चाहिए। सीडीओ राजेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2030 तक सतत विकास के लिए जिम्मेदारी तय करने, विभागों में आपसी समंवय होने, कार्यो की गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए जन सहभागित का होना भी जरूरी है। कार्यशाला में सेंटर फॉर पब्लिक पालिसी एण्ड गुड गवर्नेंस के नितीश कौशिक ने यूएनडीपी के द्वारा विजन 2030 के नाम से योजना प्रस्तुत की। कार्यशाला में देहरादून एवं गुरुग्राम से आए विशेषज्ञों ने भी विचार साझा किए। ईएचआइ से आए मनमोहन खोसला ने भी विचार रखे।
ये अधिकारी रहे कार्यशाला में मौजूद: कार्यशाला में डीडीओ एसके पंत, एसडीओ वन एमएम भट्ट, एएमई जिला पंचायत राजेश कुमार, पर्यटन अधिकारी लता बिष्ट, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक डीएस राजपूत, बेसिक सत्यनारायण, जिला अपादा प्रबन्धन अधिकारी मनोज पांडेय, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी एनबी बचखेती, ईएचआइ के विशेषज्ञ गिरधर भट्ट, शकर, मनीष जोशी, सरैन जैक, स्मृति खेरा समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।