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सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का दिया आदेश

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नई दिल्ली,एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना है कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित जेल अथारिटी और रायगढ़ के एसपी को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना गलत था। अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब (अर्नब के टीवी पर तानो) को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (अर्नब के टीवी पर ताने) को नजरअंदाज करना चाहिए। इस दौरान कोर्ट के अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मामले की जांच सीबीआइ के कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, श्यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?़.़ अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।
अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इन्कार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बांबे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इन्कार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था।

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