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सीएम रहते खुद उद्धव ने दिया था बारसू में जमीन का सुझाव; रिफाइनरी परियोजना पर शिंदे के मंत्री का दावा

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मुंबई , एजेंसी। रत्नागिरी जिले में प्रस्तावित रिफाइनरी परियोजना के लिए मिट्टी का सर्वे किए जाने को लेकर स्थानीय लोग भारी विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर विपक्ष के नेता अजित पवार ने मांग करते हुए कहा था कि लोगों के विरोध प्रदर्शन से राज्य सरकार को संवेदनशीलता के साथ निपटना चाहिए। इस बीच, शिवसेना नेता और राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि रत्नागिरी जिले में प्रस्तावित रिफाइनरी परियोजना के लिए बारसू गांव में जमीन का सुझाव तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया था। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था।
उदय सामंत ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान दावा किया कि बीते साल 12 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि राज्य सरकार रिफाइनरी के लिए 1,300 एकड़ जमीन तथा नाट्य (क्षेत्र ) में अन्य 2,144 एकड़ जमीन उपलब्ध करा सकती है । साथ ही पत्र में उन्होंने परियोजना के लिए बारसू गांव की सलाह दी थी। सामंत ने आगे कहा कि पूर्व पीएम उद्धव ठाकरे ने अपने पत्र में यह भी बताया था कि इस जमीन के 90 प्रतिशत हिस्से पर ना तो लोग रहते हैं और ना ही पेड़-पौधे हैं। ऐसे में यहां परियोजना के लिए आसानी होगी, ना तो कोई पेड़ काटने पड़ेंगे और ना ही किसी मकान या रहवासियों को कहीं शिफ्ट करना पड़ेगा।
परियोजना को लेकर किए जा रहे विरोध के बारे में बोलते हुए सामंत ने आगे कहा कि अब इस परियोजना को लेकर अफवाह और गलतफहमियां सिर्फ इसलिए पैदा की जा रही हैं क्योंकि राज्य में निजाम बदल गया है। अब राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे हैं सिर्फ यही ठाकरे गुट को अखर रहा है। आरोप लगाते हुए उन्होंने आगे कहा कि परियोजना को लेकर यह गलतफहमी केवल जानबूझकर राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए फैलाई गई है। इस दौरान उन्होंने उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे दोहरे मानकों की राजनीति करते हैं। उदय सामंत का यह बयान अरबों डॉलर की रिफाइनरी परियोजना के लिए मिट्टी सर्वेक्षण कार्य के खिलाफ तटीय जिले में स्थानीय लोगों के विरोध के बीच आया है।
इससे पहले, विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने रत्नागिरी में रिफाइनरी परियोजना के विरोध से संवेदनशील तरीके से निपटने की अपील की थी। राज्य सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा था कि शिंदे सरकार को बारसू में मिट्टी के सर्वेक्षण कार्य को तब तक रोक देना चाहिए जब तक कि लोगों के विरोधा का कोई समाधान नहीं निकलता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रतिरोध पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण है तो विशेषज्ञों की मदद से संदेह दूर किया जाना चाहिए।
पवार ने राज्य सरकार पर लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है। प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। सरकार को स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और संवेदनशीलता दिखाते हुए इस मुद्दे से निपटना चाहिए।
इस बीच, रत्नागिरी में रिफाइनरी साइट पर विरोध प्रदर्शन कर रही 30 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। महिलाओं की गिरफ्तारी का शिवसेना (यूबीटी) ने विरोध किया है। जानकारी के मुताबिक, बारसू गांव में रिफाइनरी के प्रस्तावित स्थल पर सरकारी वाहनों को प्रवेश करने से रोकने के लिए सड़क पर लेटकर प्रदर्शन करने वाली 30 से अधिक महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
स्थानीय लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बारसू गांव और वहां आस-पास के लोगों को लगता है कि इस रिफाइनरी परियोजना के कारण तटीय कोंकण क्षेत्र की जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इतना ही नहीं इससे उनकी आजीविका पर भी असर पड़ेगा। राज्य में विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में है।

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