बेमौसम बारिश से बढ़ी किसानों की चिंता; केंद्र बोला- रबी फसलों को नुकसान, राज्यों की रिपोर्ट का इंतजार
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के कई इलाकों में बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बारिश के अलावा पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हुई ओलावृष्टि से गेहूं सहित रबी (सर्दियों) की फसलों को कुछ नुकसान हुआ है। हालांकि, अभी राज्यों से रिपोर्ट मिलना बाकी है। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि राज्य सरकारें राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत धन का उपयोग कर रही हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कुछ नुकसान तो हुआ है। हमें राज्य सरकारों से नुकसान के आकलन की रिपोर्ट नहीं मिली है। अगर राज्य सरकारें नुकसान का आकलन करने के बाद रिपोर्ट जमा करती हैं तो केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) के तहत मुआवजा प्रदान करेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ की वजह से पिछले कुछ दिनों में देश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश और ओले गिरे हैं।
मौसम विभाग ने 20 मार्च को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर आंधी, बिजली, तेज हवा और ओलावृष्टि की संभावना जताई थी। इसके अलावा कल यानी 21 मार्च को उत्तराखंड में आंधी, बिजली, तेज हवा और ओलावृष्टि की बात कही थी।
इससे पहले शनिवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले कुछ दिनों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की आशंका को देखते हुए पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसानों को गेहूं और अन्य रबी फसलों की कटाई टालने की सलाह दी थी। पकी हुई फसलों को लेकर आईएमडी ने किसानों को कुछ राज्यों में सरसों और चना जैसी फसलों की जल्द से जल्द कटाई करने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर संग्रहीत करने की सलाह दी गई थी।
आईएमडी ने बयान में कहा कि तेज हवा और ओलों से खड़ी फसलों को नुकसान हो सकता है। खुले स्थानों पर लोग और मवेशी घायल हो सकते हैं। आईएमडी ने किसानों को पंजाब, हरियाणा और पश्चिम मध्य प्रदेश में फसलों की कटाई को स्थगित करने की सलाह दी थी। यदि पहले से ही कटाई हो चुकी है, तो नुकसान से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर स्टोर करने को कहा था।
राजस्थान के किसानों को सलाह दी गई थी कि वे परिपक्व सरसों और चना की जल्द से जल्द कटाई कर सुरक्षित स्थान पर भण्डारण कर लें। इसी तरह पूर्वी मध्य प्रदेश के किसानों को सरसों, चना और गेहूं की तत्काल कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रखने को कहा गया था। महाराष्ट्र में किसानों से तुरंत गेहूं, दाल और अंगूर की फसल काटने को कहा गया।