उत्तराखंड

येदियुरप्पा की रैली हुई रद्द, सांसद बोले-उट का टिकट पक्का नहीं; ये इखढ का संकट या वापसी की कोशिशें?

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नई दिल्ली, एजेंसी। कर्नाटक में विधानसभा चुनावों का एलान कभी भी हो सकता है। इससे पहले से ही राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में सत्ताधारी भाजपा विजय संकल्प रैली निकाल रही है। रैली के दौरान टिकट दावेदार अपनी ताकत दिखा रहे हैं। गुरुवार को यह यात्रा मुदिगेरे क्षेत्र में पहुंची। यहां कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने मौजूदा विधायक एमपी कुमारस्वामी को टिकट नहीं देने की मांग की। इन लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के सामने जमकर नारेबाजी की। हालात ऐसे हो गए कि येदियुरप्पा को अपनी रैली और रोड शो रद्द करना पड़ा।
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में टिकट को लेकर घमासान देखने को मिला है। दरअसल, गुरुवार को मुदिगेरे क्षेत्र से वर्तमान विधायक एमपी कुमारस्वामी को टिकट नहीं देने की मांग को लेकर पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध की वजह से सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी रैली और रोड शो रद्द करना पड़ा। इस रैली में भाजपा के प्रदेश में कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को हिस्सा लेना था।
इस घटनाक्रम के बाद भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और अन्य नेताओं को कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा। भाजपा ने यह रैली ‘विजय संकल्प यात्रा’ के तहत आयोजित की थी। येदियुरप्पा रोड शो में हिस्सा लेने जा रहे थे, तभी पार्टी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उनकी कार को घेर लिया और कुमारस्वामी के खिलाफ नारे लगाने लगे।
कहा जा रहा है कि हंगामा टिकट चाहने वाले मौजूदा विधायक की जगह नेताओं के समर्थकों ने किया। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी कह चुके हैं कि पार्टी में टिकट के पाने के लिए दावेदारों में होड़ है। बोम्मई ने तो यहां तक दावा किया कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा जीत रही पार्टी में ही हो सकती है। कर्नाटक की राजनीति को नजदीक से समझने वाले कहते हैं कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों में टिकट के दावेदारों के बीच इस वक्त होड़ है। टिकट बंटवारे के बाद दोनों के लिए काफी कुछ साफ हो सकता है। वहीं, टिकट के दावेदारों के बीच जारी कड़ा संघर्ष आगे चलकर विद्रोह की शक्ल न ले ये चिंता दोनों दलों को है।
कई सीटों में टिकट दावेदारों के बीच बढ़ रही प्रतिस्पर्धा पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी प्रतिक्रिया दी है। बुधवार को एक बयान में उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है और ऐसा उस पार्टी में होगा जो जीत के प्रति आश्वस्त है। बोम्मई ने कहा, ‘जो पार्टी जीतेगी उसमें प्रतिस्पर्धा होगी, इसलिए (भाजपा में) स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा और उनका नेतृत्व स्थिति को संभालने में सक्षम है। आलाकमान जिसे भी टिकट देगा, सभी उसका समर्थन करेंगे।
हां, ये सही है कि भाजपा के ही एक सांसद ने इस तरह का बयान दिया है। दावणगेरे सीट से लोकसभा सांसद जीएम सिद्धेश्वरा ने कहा, ‘चुनावों की घोषणा के बाद, कोर कमेटी बैठक करेगी और निर्णय लेगी। टिकट किसे मिलेगा कोई नहीं जानता। हम नहीं जानते कि बसवराज बोम्मई को टिकट मिलेगा या नहीं।’ सिद्धेश्वर ने कहा, ‘यह एक राष्ट्रीय पार्टी है। राष्ट्रीय नेता तय करेंगे। वो कहेंगे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा।’ हालांकि, बोम्मई पहले कई मौकों पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह शिगगांव सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। 2018 में सीएम इसी सीट से चुने गए थे।
विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा सांसद जीएम सिद्धेश्वरा इसी तरह के बयानों के लिए जाने जाते हैं। उनके बयानों को इतनी गंभीरता ने नहीं लिया जाता है। मुख्यमंत्री बोम्मई को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। यहां तक, ये भी लगभग तय है कि भाजपा उनके ही नेतृत्व में यह चुनाव लड़ेगी। हालांकि, पार्टी से सभी मौजूदा विधायकों के लिए यह बात नहीं कही जा सकती है। खुद मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि सभी विधायकों को दोबारा टिकट मिले ये जरूरी नहीं है। बीते हफ्ते ही उन्होंने कहा था कि हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है। उसे प्रभावित करने वाले कारक भी अलग होते हैं। उसी के हिसाब से टिकट भी तय होता है।

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